डीएनए हिंदी: आज के दौर में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का खूब इस्तेमाल किया जाता है. यह एक ऐसा नेटवर्क है जो डेटा को एन्क्रिप्ट करते हैं और यूज़र्स के ऑनलाइन होते हुए भी छुपे रहने में मदद करते हैं. केंद्र सरकार ने हाल ही में इस पर रोक लगाने के लिए इंटरनेट पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. अब कुछ वीपीएन प्रदाता भारत छोड़ रहे हैं, जबकि बाकी नए नियमों पर काम करने पर विचार कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने बदले हैं नियम
दरअसल, इसकी वजह भारत सरकार के नए नियम हैं. इस मामले में केंद्र सरकार का कहना है कि नए नियम का मकसद साइबर सिक्योरिटी (Cyber Security) में सुधार करना है लेकिन कुछ वीपीएन कंपनियों (VPN Companies) ने दावा किया है कि नए नियम से सिस्टम में साइबर सुरक्षा संबंधी कमियां हो सकती हैं. हालांकि इस तर्क को मंत्री ने खारिज कर दिया था.
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बुधवार को साइबर अपराध की घटनाओं के संबंध में अकसर पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) को जारी किया है. इसमें कहा गया था कि ऐसे वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) सेवाप्रदाता जो नए दिशानिर्देशों का पालन करने को तैयार नहीं हैं, उनके पास भारत से बाहर निकलने का ही विकल्प है. उन्होंने कहा कि हर अच्छी कंपनी या संस्था समझती है कि एक सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट से उन्हें मदद मिलेगी.
सभी को करना होगा नियमों का पालन
गौरतलब है कि केंद्र सरकार लगातार Cyber Security को लेकर सख्त हो गई है. आईटी मंत्री चंद्रशेखर ने कहा, "किसी के पास ये कहने का कोई विकल्प नहीं है कि हम भारत के नियमों और कानूनों का पालन नहीं करेंगे. अगर आपके पास लॉग नहीं हैं, तो लॉग को सुरक्षित रखना शुरू करें. अगर आप ऐसे वीपीएन हैं, जो छुपाना चाहता है और यूज़र्स को गुमनाम रखना चाहता है, और अगर आप कानूनों का पालन करना नहीं चाहते हैं, और अगर आप बाहर जाना चाहते हैं, तो समझ लीजिए आपके पास बाहर निकलने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है."
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने क्लाउड सेवा प्रदाताओं, वीपीएन फर्मों, डेटा सेंटर कंपनियों और वर्चुअल प्राइवेट सर्वर प्रदाताओं के लिए उपयोगकर्ताओं के डेटा को कम से कम पांच साल के लिए सुरक्षित रखना अनिवार्य कर दिया है.
कंपनियों ने रखी कानून में बदलावों की मांग
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) ने 28 अप्रैल को जारी दिशानिर्देश में सभी सरकारी और प्राइवेट एजेंसियों, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कहा है कि उन्हें साईबर सिक्योरिटी में सेंध लगने का पता चलने के 6 घंटे के भीतर उसकी रिपोर्ट मुहैया करानी ही होगी.
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वहीं एक अहम बात यह है कि गूगल (Google), फेसबुक (Facebook), आईबीएम (IBM) और सिस्को (Cisco) जैसी दिग्गज टेक कंपनियों की सदस्यता वाले अमेरिकी टेक्नॉलजी इंडस्ट्री संगठन ITI ने भारत सरकार से अपने इन दिशानिर्देशों में बदलाव करने का आग्रह किया है. हालांकि अभी इस मामले में केंद्र नर्म नहीं दिख रही है.
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Cyber Security: अगर आप भी करते हैं VPN का इस्तेमाल तो जान लीजिए ये नए नियम