डीएनए हिंदी: त्रेतायुग से लेकर द्वापर तक श्राप लगने पर व्यक्ति को बुरे परिणाम भुगतने पड़ते थे. श्राप एक तरह से किसी को भी दुख पहुंचाने और आत्मा दुखाने पर उक्त व्यक्ति द्वारा दिया जाता था. श्राप की वजह से ही तमाम देवताओं को इसे भोगना पड़ता था. ठीक ऐसे ही त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को श्राप मिला था. यह श्राप उन्हें वनवास के दौरान मिला था, जिस तरह से भगवान राम को मिला वनसास राजा दशरथ को मिले श्राप के रूप में ही थी. राजा दशरथ को श्राप मिला था कि उनका निधन पुत्र वियोग में होगा. यह श्राप फलीभूत भी हुआ, लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने तो कभी किसी को दुख नहीं पहुंचाया. वह तो सभी चीजों में श्रेष्ठ थे, इसके बाद भी श्री राम को श्राप मिला था. इस श्राप के फलीभूत होते ही द्वापर से कलयुग की शुरुआत हो गई थी. आइए जानते हैं आखिरी श्री राम को किसने और क्यों श्राप दिया था...

वनवास के दौरान भगवान श्रीराम को मिला श्राप

दरअसल त्रेतायुग में भगवान श्रीराम को श्राप किष्किन्धाकाण्ड के दौरान मिला था. यह रामायण का वह हिस्सा है, जिसमें भगवान श्री राम की मुलाकात अपने परमभक्त हनुमान जी से हुई थी. यही पर श्रीराम को सुग्रीव मिले थे, जिन्होंने श्री राम को अपने बड़े भाई बाली के अत्याचारों से उन्हें अवगत कराया. सुग्रीव ने भगवान से मदद मांगी थी. इस दौरान श्री राम ने बाली के सामने सुग्रीव को भेजा और छिपकर बाली पर तीर चला दिया. इससे उसका निधन हो गया. 

छिपकर तीर चलाने पर श्री राम ने बाली को दिया जवाब

बाली जब मृत्यु शय्या तड़प रहा तो उसने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम से पूछा कि आपने छिपकर वार करने की वजह पूछी. इस पर श्रीराम ने बताया कि यह प्रदेश अयोध्या के राज्य में आता है. यहां अन्याय करने वाले को दंड देने का अधिकार राजा को है. उन्होंने बाली को अपना परिचय बताया कि वह अयोध्या के राजा भरत के भाई हैं. श्री राम इस बात को बाली तो मान गया, लेकिन उसकी पत्नी तारा बहुत दुखी हुई. उसे पति की मृत्यु का दुख सहन नहीं हुआ. 

बाली की पत्नी ने श्रीराम को दिया श्राप

पति बाली की मृत्यु से दुखी हुई उनकी पत्नी तारा ने श्री राम से छिपकर तीर चलाने का कारण पूछा, श्री राम के बताने पर भी वह संतुष्ट नहीं हुई. उसने विलाप करते हुए श्री राम को श्राप दिया कि जिस तरह आप ने मेरे पति के छिपकर प्राण लिए हैं. इसी तरह एक दिन आपकी भी मृत्यु होगी. ऐसे ही कोई व्यक्ति छिपकर तीर चलाएगा और आपको मृत्यु पीड़ा का सामना करना पड़ेगा. 

ऐसे फलीभूत हुआ तारा का श्राप

श्रीराम ने तारा का श्राप स्वीकार किया और कहा कि यह अगले जन्म में फलीभूत होगा. अगला जन्म श्री राम ने द्वापर में श्री कृष्ण के रूप में लिया. इस युग में तमाम ​लीलाओं को रचने के बाद एक दिन श्रीकृष्ण जंगल में आराम कर रहे थे. तभी एक भील ने छिपकर श्रीकृष्ण पर तीर चला दिया. तीर श्रीकृष्ण के पैर में आकर लगा. इस तरह से बाली की पत्नी का श्राप फलीभूत हो गया. कथाओं में बताया जाता है कि तीर चलाने वाला भील बाली का ही अवतार था, जिसने अपनी मौत का बदला लिया. श्री कृष्ण की मौत के बाद ही युग बदला और कलयुग प्रभावी हो गया. इस तरह से बाली की पत्नी तारा का श्राप फलीभूत होते ही द्वापर से कलयुग आ गया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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shri ram katha who curse on lord shri ram and change dwapar to kalyug kisne diya bhagwan ram ko shrap
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त्रेतायुग में भगवान श्रीराम को इस योद्धा की पत्नी ने दिया था श्राप, फलीभूत होते
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त्रेतायुग में भगवान श्रीराम को इस योद्धा की पत्नी ने दिया था श्राप, फलीभूत होते ही बदल गया था युग, जानें पूरी कथा

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