डीएनए हिंदीः गरुड़ पुराण के अनुसार, जो परिजन अपने शरीर को छोड़कर जा चुके हैं, वे चाहे किसी भी लोक में हों उन्हें पितृपक्ष के दौरान तर्पण, जलांजलि देने से तृप्ति मिलती है. साथ ही पितरों का ऋण उतारने के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करना भी जरूरी है. बता दें कि गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद की (Garuda Purana Significance) घटनाओं और कर्म कांड के बारे में बताया गया है. इस ग्रंथ को लोग किसी परिजन की मृत्यु के बाद या पितृपक्ष के दौरान सुनते हैं या पढ़ते है. हालांकि इसको लेकर कई लोगों के मन में असमंजस की स्थिति बनी (Funeral Rituals) रहती है कि क्या इस ग्रंथ को पितृपक्ष के बाद आम दिनों भी पढ़ा जा सकता है. अगर आपके मन में भी ऐसा सवाल है तो ये लेख अंत तक (Garuda Purana) जरूर पढ़ें. आज हम आपको इस रिपोर्ट में गरुड़ पुराण से जुड़े कुछ नियमों के बारे में बताएंगे, आइए जानते हैं...
गरुड़ पुराण का क्या है महत्व (Garuda Purana Significance And Importance)
सनातन धर्म में सभी ग्रंथों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. श्रीमद्भगवद्गीता, रामचरितमानस से लेकर शिव पुराण तक, इन सभी ग्रथों का अलग-अलग महत्व होता है. आज हम आपको बता रहे हैं गरुड़ पुराण के बारे में. यह एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे में बताया गया है. इसे लोग लोग किसी परिजन की मृत्यु के बाद या पितृपक्ष के दौरान सुनते हैं या पढ़ते है. इससे मृत आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष के रास्ते खुलते हैं. इसलिए लोग पितृपक्ष में इसका पाठ करते हैं.
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दरअसल गरुड़ पुराण अन्य 17 पुराणों से अलग माना जाता है और यही वजह है कि इसे पढ़ते समय कुछ सावधानी भी बरतनी चाहिए. बता दें कि गरुड़ पुराण का पाठ हमेशा मृत आत्मा की शांति के लिए किया जाता है. इसके अलावा इसका पाठ मृतक के घर पर खासतौर पर कराया जाता है. क्योंकि इस ग्रंथ को मोक्ष प्राप्त का साधन भी माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर पर गरुड़ पुराण ग्रंथ रखने से नकारात्मक शक्तियां खत्म होती हैं और रोग-दोष से भी मुक्ति मिलती है.
कब और किसे करना चाहिए पाठ (When To Read Garuda Purana)
गरुड़ पुराण घर पर तभी पढ़ा जाता है, जब किसी परिजन की मृत्यु हो जाए या फिर पितृपक्ष चल रहा हो. इसके बाद ही इस ग्रंथ का अवलोकन किया जाता है. बता दें कि जिस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उसकी आत्मा की शांति के लिए गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि मृतक की आत्मा 13 दिनों तक घरों में ही रहती है और गरुड़ पुराण का पाठ इस दौरान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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पितृपक्ष के दौरान ही पढ़ना चाहिए गरुड़ पुराण? जानिए इससे जुड़ी ये जरूरी बात