Ahiliyabai Holker: मालवा की महारानी अहिल्याबाई होलकर साहसी होने के साथ ही न्याय की देवी के रूप में प्रख्यात थी. रानी न्याय करते समय अपने पराये में जरा भी भेद नहीं करती थी. व्यक्ति से लेकर पशुओं तक के दर्द को समझती थी. एक बार क्रूरता के मामले में बेटे के दोषी पाये जाने पर अहिल्याबाई होलकर (Ahiliyabai Holker) बेटे को रथ के नीचे कुचलकर मारने के लिए निकल गई. हालांकि इस दौरान एक ऐसा वाक्या हुआ, जब महारानी को किसी ने रोक दिया. आइए जानते हैं इस कड़ी में न्याय की देवी अहिल्याबाई के इंसाफ से जुड़ी ये घटना...
दरअसल एक बार जब अहिल्याबाई के (Ahiliyabai Holker Son Malejirao) बेटे मालेजी राव रथ में सवार होकर राजबाड़ा के पास से गुजर रहे थे. इसी दौरान सड़क किनारे एक गाय का छोटा सा बछड़ा खड़ा था. जैसे ही मालेजी राव (Male Ji Rao) का रथ मौके से गुजरा, बछड़ा कूदते हुए सड़क पर आ गया. रथ की चपेट में आकर वह बुरी तरह घायल हो गया. राजा मालेजी राव बिना रथ को रोके, मौके से चले गये. इसी के बाद घायल बछड़े की तड़प तड़प कर मौत हो गई. अपने बछड़े को मरता देख गाय उसी के पास बीच सड़क पर बैठ गई. गाय अपने बछड़े को नहीं छोड़ रही थी.
अहिल्याबाई ने देखते ही रोक दिया अपना रथ
मालेजी राव जिस जगह से निकले थे. कुछ देर बाद उसी रूट से अहिल्याबाई निकली. उन्होंने देखा कि एक गाय अपने मृत बछड़े के पास बैठी हुई है, लोगों के हटाने के बाद भी वह गाय मौके से नहीं हट रही है. यह देखते ही अहिल्याबाई का दिल पसीज गया. उन्होंने रथ रुकवाया और घटनाक्रम की जानकारी ली. उन्होंने सैनिकों को आदेश दिया कि गाय के बछड़े को मारने वाले का पता लगाया जाये.
बेटे के दोषी मिलने पर बनाया बंदी
अहिल्याबाई को जैसे ही पता चला कि गाय के बछड़े की मौत उनके बेटे मालेजी राव के रथ के सामने आने से हुई है तो उन्होंने तुरंत दरबार में मालेजी राव की धर्मपत्नी मेनाबाई को बुलाया. अहिल्या बाई ने पूछा कि अगर कोई व्यक्ति किसी की मां के सामने उसके बेटे की हत्या कर दें तो उसे क्या दंड देना चाहिए. मालेजी राव की पत्नी ने जवाब दिया कि उसे मृत्युदंड देना चाहिए. इसी के बाद अहिल्याबाई ने आदेश दिया कि बेटे मालेजी राव के हाथ पैर बांध दिए जाये. उन्हें उसी जगह और उसी तरह मृत्यु दंड दिया जाएगा. जिस तरह गाय के बछड़े की मृत्यु हुई थी.
कोई नहीं बना सारथी तो खुद संभाली रथ की कमान
बेटे मालेजी राव को कुचलने का आदेश सुनते ही दरबार में सभी लोग हैरान रह गये. रानी अहिल्याबाई होल्कर गाय को न्याय देने के लिए रथ से बेटे को कुचलने के लिए सवार होने लगी, लेकिन इस दौरान कोई भी रथ चलाने के लिए सारथी बनने को तैयार नहीं हुआ. रानी ने कुछ देर तो इंतजार किया. इसके बाद खुद ही रथ की कमान अपने हाथों में ले ली.
गाय ने ही बचाई बेटे की जान
बताया जाता है कि जैसे ही अहिल्याबाई रथ (Ahilyabai Holker ) लेकर आगे बढ़ी, जिसका बछड़ा मरा था. वह गाय रथ के सामने आकर खड़ी हो गई. अहिल्याबाई ने सैनिकों को गाय हटाने का आदेश दिया, बहुत प्रयास करने के बाद गाय को हटाया जाता, लेकिन वह फिर से रथ के सामने आकर खड़ी हो जाती. इस पर दरबारी मंत्रियों ने रानी अहिल्याबाई से कहा कि यह गाय भी नहीं चाहती कि किसी और मां के बेटे के साथ ऐसी घटना हो. इसलिए यह गाय मालेजी राव के लिए दया की मांग कर रही है. गाय रथ के रास्ते में खड़ी रही. इसके बाद रानी को अपना फैसला बदलना पड़ा, जिस जगह यह घटना हुई थी. उसे आज भी लोग आड़ा बाजार के नाम से जानते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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क्यों अपने ही बेटे को कुचलने के लिए निकल पड़ी थी रानी अहिल्या बाई होल्कर