दुनिया भर में कोरोना का खौफ अभी भी बना हुआ है और अब चीन में एक बार फिर से एक नई रहस्यमयी बीमारी ने जोर पकड़ लिया है. इससे चीन में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी दबाव में है. अस्पताल मरीजों से खचाखच भरने लगे हैं और कई जगहों पर हालात इस हद तक खराब हो गई है और मौत का सिलसिला रोके नहीं रुक रहा है.
यह स्थिति लोगों को कोरोना महामारी के शुरुआती दौर की याद दिला रही है. सवाल ये है कि ये बीमारी है क्या, कितनी खतरनाक है और क्या दुनिया को फिर से लॉकडाउन जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा? चीनी मीडिया और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बार समस्या का केंद्र 'ह्यूमन मेटा-न्यूमो वायरस (एचएमपीवी)' है.
यह एक वायरस है जो मुख्य रूप से श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बनता है. यह वायरस ज्यादातर बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस कोरोना जितना खतरनाक नहीं है, लेकिन इसके लक्षण और तेजी से फैलने की क्षमता चिंता का विषय है
⚠️ BREAKING:
— SARS‑CoV‑2 (COVID-19) (@COVID19_disease) January 1, 2025
China 🇨🇳 Declares State of Emergency as Epidemic Overwhelms Hospitals and Crematoriums.
Multiple viruses, including Influenza A, HMPV, Mycoplasma pneumoniae, and COVID-19, are spreading rapidly across China. pic.twitter.com/GRV3XYgrYX
आरएसवी और इन्फ्लुएंजा भी कहर बरपाते हैं
एचएमपीवी के अलावा चीन में अन्य वायरस भी फैल रहे हैं, जिनमें आरएसवी (रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस) और इन्फ्लूएंजा प्रमुख हैं. ये सभी वायरस मिलकर संक्रमण की दर को बढ़ा रहे हैं और स्थिति को और गंभीर बना रहे हैं. चीन में हालात बेहद गंभीर हैं और कई लोगों की मौत हो रही है. इससे दुनिया भर में दहशत का माहौल बन गया है.
एचएमपीवी के लक्षण
एचएमपीवी के लक्षण सामान्य सर्दी की तरह शुरू होते हैं, जिनमें खांसी, बुखार, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ और कमजोरी होती है. लेकिन यह गंभीर मामलों में निमोनिया और ब्रोंकाइटिस का कारण बन सकता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में. डॉक्टरों के मुताबिक, इस वायरस के खिलाफ फिलहाल कोई खास वैक्सीन या दवा उपलब्ध नहीं है. इसका इलाज लक्षण नियंत्रण के आधार पर ही किया जा रहा है.
24 घंटे अस्पताल काम कर रहा है
चीन के कई प्रमुख शहरों के अस्पताल खचाखच भरे हुए हैं. डॉक्टर और नर्स 24 घंटे उपलब्ध हैं. कब्रिस्तान में शवों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे नागरिकों में दहशत फैल गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि एचएमपीवी और अन्य वायरस का प्रभाव फिलहाल क्षेत्रीय स्तर तक ही सीमित है. हालाँकि, अन्य देशों के लिए भी इस पर नज़र रखना और अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को तैयार करना ज़रूरी है.
पहली बार 2001 में खोजा गया
एचएमपीवी की खोज पहली बार 2001 में हुई थी, जब एक डच शोधकर्ता ने श्वसन संबंधी समस्याओं वाले कुछ बच्चों के नमूने लिए थे. लेकिन कहा जाता है कि यह वायरस पिछले 6 दशकों से अस्तित्व में है. यह वायरस वैसे तो हर मौसम में मौजूद रहता है लेकिन सर्दी के मौसम में यह सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है
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क्या है ये HMPV वायरस जिसने चीन में मचाई है तबाही? जानिए इस बीमारी का लक्षण और खतरे