जब कोई प्रश्न पूछा जाता है तो हममें से कई लोग तुरंत मोबाइल पर सर्च इंजन के माध्यम से उत्तर खोजने का प्रयास करते हैं. इंटरनेट ने सूचना प्रौद्योगिकी की वर्तमान दुनिया में क्रांति ला दी है और हमारे जीवन पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है.  आज लगभग किसी भी विषय की जानकारी आपकी उंगलियों पर होता है. इंटरनेट का उपयोग इतना बढ़ गया है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगभग सभी उद्योग-धंधे और व्यक्ति इंटरनेट पर निर्भर हैं.  
  
लेकिन यही इंटरनेट आपकी सेहत खासकर मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर रहा है. बेशक ये इंटरनेट जरूरी है और इसके सकारात्मक प्रभाव भी हैं लेकिन कुछ गंभीर नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब उन नकारात्मक प्रभावों में से एक के बारे में चेतावनी दी है.  आजकल बहुत से लोग इंटरनेट पर दिखने वाले विभिन्न लक्षणों को खोजकर खुद ही यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि उनके साथ क्या हुआ होगा. बहुत से लोग यह जानने के लिए Google का सहारा लेते हैं कि वे किस प्रकार की बीमारी से पीड़ित हैं. अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं तो आप इडियट सिंड्रोम से पीड़ित हो सकते हैं.  

इडियट सिंड्रोम में IDIOT का पूर्ण रूप इंटरनेट व्युत्पन्न सूचना (Derivative Information) बाधा उपचार है. इसे साइबरचोन्ड्रिया (Cyberchondria) भी कहा जाता है.  इडियट सिंड्रोम से पीड़ित रोगी इंटरनेट खोजों के आधार पर पढ़ता है कि उसके साथ क्या हुआ होगा और डॉक्टरों या विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित उपचार से बचकर खुद ही अपना इलाज करने लगता है. जिसके अधिक घातक परिणाम हो रहे हैं.  
  
'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ' के जर्नल 'क्यूरियर' में प्रकाशित एक अध्ययन में इडियट सिंड्रोम के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है.  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे इन्फोडेमिक कहा है.  स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आम मरीज़ के लिए इंटरनेट पर जानकारी की अत्यधिक उपलब्धता के कारण जो समस्या उत्पन्न होती है उसे 'इन्फोडेमिक' कहा जाता है.   
  
डिजिटल दुनिया में उपलब्ध सूचनाओं और किसी बीमारी की वास्तविक स्थिति के बीच जो भ्रम पैदा होता है, वह इस इडियट सिंड्रोम वाले रोगियों में देखा जाता है. इडियट सिंड्रोम से पीड़ित लोग डॉक्टरों के साथ-साथ संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों के इलाज पर भी भरोसा नहीं करते हैं.  
  
इसमें कोई संदेह नहीं है कि इंटरनेट आजकल सूचना का सबसे बड़ा स्रोत है. हालांकि, यदि कोई व्यक्ति पूरी तरह से उस पर निर्भर हो जाता है, तो पैदा हुआ तनाव और संकट उस व्यक्ति के करीबी लोगों को भी प्रभावित करता है.  
  
इडियट सिंड्रोम में व्यक्ति द्वारा अनुभव की जा रही पीड़ा को गलत समझने की अधिक संभावना होती है. ऐसे व्यक्तियों को ऐसा महसूस होता है जैसे कि वे बीमार हैं जबकि कोई गंभीर बीमारी नहीं है.  
  
इडियट सिंड्रोम से पीड़ित लोग खुद को बीमार मानकर इतना डर ​​जाते हैं कि उन्हें विद्वान डॉक्टरों और उनके इलाज पर भी भरोसा नहीं होता.  
  
विशेषज्ञों ने इडियट सिंड्रोम पर काबू पाने के लिए कुछ सरल उपाय सुझाए हैं. किसी बीमारी या बीमारी के बारे में जानकारी पढ़ते समय आपको उस वेबसाइट पर ध्यान देना चाहिए जहां से आप इसे पढ़ रहे हैं. चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित प्रतिष्ठित वेबसाइटों और पत्रिकाओं की जानकारी पर अधिक भरोसा करना फायदेमंद है.  
  
इंटरनेट पर जानकारी खोजने के बजाय अपने पारिवारिक डॉक्टर या संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से परामर्श करना फायदेमंद है. मरीजों को याद रखना चाहिए कि डॉक्टर समस्या का निदान करने और प्रभावी उपचार प्रदान करने में बेहतर सक्षम हैं.  
  
सीखने के लिए इंटरनेट का उपयोग करना चाहिए. कुछ चीज़ों पर बुनियादी उत्तर या जानकारी खोजने के लिए इंटरनेट बहुत अच्छा है. लेकिन बीमारी के संबंध में जानकारी लेना तक तो ठीक है लेकिन खुद का इलाज करना बेहद गंभीर बात है. 

(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)

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what is Idiot Syndrome WHO issues warning excess use of mobile social media side effects
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'इडियट सिंड्रोम' क्या है जो दुनिया भर में तेजी से फैल रहा, WHO ने भी दी चेतावनी
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