Valentine Day 2025 Special: हिंदू धर्म में कामदेव को काम का देवता माना जाता है. कामदेव युवा और आकर्षक हैं. कई धार्मिक कहानियों में इनके बारे में पढ़ने को मिलता है. इसी तरह श्रीकृष्ण ने प्रेम के बारे में गीता में बताया है. वह कहते हैं कि, प्रेम त्याग और निस्वार्थता की भावना से भरा होना चाहिए. धर्म शास्त्रों में श्रीकृष्ण और राधा के बीच का रिश्ता भी प्रेम का प्रतीक (Significance of Love in Spirituality) माना गया है.
धर्म शास्त्रो में अनंग त्रयोदशी को प्रेम का एक पर्व बताया गया है. अनंग त्रयोदशी का व्रत एक उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. यह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. अनंग भगवान कामदेव ही एक नाम है. इस तरह से हम कह सकते हैं कि, हिंदू धर्म में प्रेम की बात को कहीं भी ठुकराया नहीं गया है. चलिए जानते हैं कि, ओशो और स्वामी विवेकानंद वैलेंटाइन डे वाले प्रेम को किस नजरिए से देखते हैं.
प्रेम के बारे में क्या कहते हैं ओशो?
ओशो कहते हैं कि, प्यार अंधा होता है', और 'जब दिल लगा गधी से परी क्या चीज है' यह प्रेम को लेकर दो गलत पंक्तियां हैं. इससे प्रेम सिर्फ एक ऑब्जेक्ट में बदल जाता है. इसने प्रेम की समझ को सबसे अर्थहीन बना दिया है. इस बात पर ओशो कहते है "क्या बात हुई कि प्यार अंधा होता है. ये किसने कहा, किसने समझा दिया है. असल तो ये है कि सिर्फ प्यार की ही आंखें हैं" प्यार के बिना इंसान केवल एक शरीर है. जैसे बिना देवता के मंदिर है.
प्रेम को कैसे देखते हैं स्वामी विवेकानंद?
स्वामी विवेकानन्द एक बेहद विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. उन्होंने पूरे विश्व में सनातन को पहचान दिलाई थी. वह प्रेम को दिव्य मानते थे. उनका मानना था कि, प्रेम की भावना आपको सफलता की राह पर ले जा सकती है. वह प्रेम में कामेच्छा की मिलावट को गलत को मानते थे. लेकिन एक राजा ने स्वामी विवेकानंद के स्वागत में जब नर्तकियों और वैश्याओं को बुलाया तो एक वैश्या से मिलने के बाद उनका नजरिया बदल गया था.
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Valentine Day 2025
अध्यात्म के नजरिए से क्या है प्रेम? Valentine Day वाले प्रेम को कैसे देखते हैं ओशो और विवेकानंद