डीएनए हिंदीः एक सामान्य व्यक्ति में खाना खाने के साथ ही इंसुलिन ब्लड में एक्टिवेट हो जाता है, जबकि डायबिटीज पीड़ित लोगों में खाना खाने के करीब 20 से 25 मिनट बाद ब्लड में इंसुलिन जाता है. वह भी तब जब इंसुलिन का शरीर प्रतिरोध न करता हो. कई बार इंसुलिन सेंसेविटी के कारण भी ब्लड में इंसुलिन पहुंचता ही नहीं है, तब दवाओं के जरिए ब्लड में खाने के बाद पहुंचे शुगर को कंट्रोल किया जाता है.
कई बार दवाएं या इंसुलिन के इंजेक्शन लेने के बाद भी शुगर को कंट्रोल करना मुश्किल होने लगता है. वहीं कई बार खाने-पीने के गलत तरीके या समय के कारण भी ऐसा होता. वहीं तनाव या अकेलापन भी शुगर को हाई करता है. ऐसी स्थिति में कुछ आयुर्वेदिक दवाओं और जड़ी-बूटियों की मदद भी जरूर लें. दवा के साथ जब आप इन आयुर्वेदिक हर्ब्स को लेते हैं तो इसका असर आपके शुगर पर संजीवनी बूटी की तरह से होगा. चलिए जानें की आयुर्वेद में शुगर यानी मधुमेह की काट के लिए क्या लेना चाहिए.
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आयुर्वेद में डायबिटीज इस प्रकृिति की खराबी का नतीजा है
आयुर्वेद में तीन तरह के दोष होते हैं. वात, पित्त और कफ. हर दोष के असंतुलन से स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं. इसी तरह डायबिटीज एक कफ दोष असंतुलन की समस्या है. जब संतुलित आहार और जीवनशैली के साथ कफ का संतुलन नहीं बैठ पाता, तो डायबिटीज हो जाती है. जब कफ दोष असंतुलित हो जाए, और इसे कमजोर अग्रि के साथ जोड़ा जाए, तो यह मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है. इससे शरीर में शुगर लेवल में कमी आती है. एक व्यक्ति जिसे कफ दोष है, उसे ध्यान रखना चाहिए कि उसके भोजन और जीवनशैली में पर्याप्त वायु और अग्रि तत्व मौजूद हों.
इन आयुर्वेदिक उपचार से दूर होगी शुगर हाई होने की समस्या
नाग भस्म
आयुर्वेद में नाग भस्म कई बीमारियों में इस्तेमाल होता जाता है. इससे मधुमेह, बवासीर, हर्निया समेत कई अन्य बीमारियों में फायदा मिलता है. डायबिटीज में पित्त, कफ और वातलतीनों दोषों का संतुलन बिगड़ जाता है.इन दोषों को दूर करने में नाग भस्म कारगर है. इसके सेवन से शुगर को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है.मधुमेह के मरीज शहद के साथ नाग भस्म का सेवन कर सकते हैं. हालांकि, दिन में केवल दो बार ही नाग भस्म का सेवन करना चाहिए. इससे अधिक सेवन करना सेहत के लिए सही नहीं होता है. इसलिए हमेशा डॉक्टर से पूछ कर ही इसे लें. इसके अलावा, सुहागा के साथ भी नाग भस्म का सेवन कर सकते हैं.
जामुन बीज चूर्ण
जामुन के बीज में जंबोलिन और जाम्बोसीन नामक सक्रिय तत्व मौजूद होता हैं जो ब्लड में शुगर के स्तर को स्लो करता है और शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाता हैं. जामुन के बीज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो इसे डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छा विकल्प बनाता है. जामुन के गुठली के पाउडर का उपयोग रोजाना सुबह खाली पेट कर सकते हैं. इसके लिए आप एक गिलास पानी में एक चम्मच गुठली का पाउडर मिक्स कर के सेवन कर सकते हैं.
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मेथी के बीज का चूर्ण
इंटरनेशनल जर्नल फॉर विटामिन एंड न्यूट्रिशन रिसर्च के अनुसार मेथी में फाइबर होता है, जो शरीर में कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. मेथी ऐसे यौगिक होते हैं, जो इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकते हैं और इंसुलिन प्रतिरोध को कम कर सकते हैं. रोज 10 ग्राम मेथी के बीज की रोज खाने से रक्त शर्करा का स्तर कम होता है. मेथी के बीज को रात को दो चम्मच पानी में भिगोकर रख दें और अगली सुबह बीज के साथ इसका पानी पी लें. आप इसे पीसकर चूर्ण बना सकते हैं और सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ लेने से फायदा होगा.
दालचीनी
प्राकृतिक जड़ी-बूटी में दालचीनी वो मसाला है जो मधुमेह नियंत्रण के लिए बेस्ट है. दालचीनी खाने के बाद ब्लड शुगर में कमी और इंसुलिन संवेदनशीलता को भी बढ़ाती है. इसके अलावा यह एक कार्डियो टॉनिक भी है जो हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त रोगियों और आयुर्वेद में डायबिटीज के उपचार में मददगार है. दालचीनी का पाउडर पानी के साथ मिलाकर पिएं. इसके लिए एक गिलास पानी में दालचीनी का 2 इंच का टुकड़ा या दालचीनी की छाल भिगो दें. इसे रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह इसे छानकर इसे खाली पेट पिएं या इसका चूर्ण बना कर रख लें.
करेले का जूस या चूर्ण
करेले में चैरेटिन एवं मोमोरडिसिन दो बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं जो ब्लड शुगर के स्तर को कम करने की क्षमता रखते हैं. हर रोज सुबह खाली पेट करेले के रस का सेवन करें. इसके ज्यादा लाभ लेने के लिए हर दिन करेले से बनी एक डिश को भी अपने खाने में शामिल कर सकते हैं.
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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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