डीएनए हिंदी: किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस के लिए मरीजों को कभी-कभी लंबा इंतजार करना पड़ता है. हालांकि, किडनी से जुड़ी बीमारियों के इलाज में वैज्ञानिकों ने बड़ी सफलता हासिल की है. रिसर्चरों की टीम ने जैविक कृत्रिम (बायो-आर्टिफिशियल) किडनी बनाने में सफलता पाई है.

किडनी प्रोजेक्ट का पहला डिमॉन्स्ट्रेशन
किडनी प्रोजेक्ट का पहला डिमॉन्स्ट्रेशन है. कृत्रिम किडनी का आकार स्मार्टफोन के जितना है. कृत्रिम किडनी में 2 जरूरी पार्ट इकट्ठा किए गए हैं. हीमोफिल्टर और बायोरिएक्टर को जोड़कर प्रीक्लिनिकल इवॉल्युएशन के लिए सफलतापूर्वक इंप्लीमेंट किया गया.

कई स्तरों पर हुआ परीक्षण
वैज्ञानिकों ने पहले हीमोफिल्टर को अलग से टेस्ट किया था. हीमोफिल्टर का इस्तेमाल खून में मौजूद कचड़ा और टॉक्सिन निकालने के लिए होता है. बायोरिएक्टर का भी कई स्तर पर परीक्षण किया गया था. बायोरिएक्टर किडनी से जुड़े दूसरे कामों के लिए होता है. जैसे कि खून में इलेक्ट्रोलाइट्स को नियंत्रित करने के लिए.

डायलिसिस से कम समय लगेगा इसमें 
कृत्रिम किडनी के काम करने के लिए ब्लड प्रेशर का दबाव ही काफी है. इसके लिए खून को पतला करने या किसी और तरह की दवाइयों की जरूरत नहीं होती है. कृत्रिम किडनी पूरी तरह से काम कर सकती है और डायलिसिस से बेहतर नतीजे देती है. कृत्रिम किडनी डायलिसिस से कम समय लेती है और इसके लिए बार-बार क्लिनिक जाने की जरूरत नहीं रहती है.

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the kidney projects researchers successfully tested a bioartificial kidney prototype
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किडनी की बीमारियों में मिल सकती है बड़ी मदद, वैज्ञानिकों ने तैयार की Artificial
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