डीएनए हिंदी: भारतीय आईटी मंत्रालय (IT Ministry) ने वीपीएन कंपनियों (VPN Companies) को कम से कम पांच साल की अवधि के लिए यूजर्स का डेटा (DATA) कलेक्ट और स्टोर करने का निर्देश दिया है. बीते सप्ताह प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस बात जिक्र किया गया है.
CERT-in, या कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ने भी डेटा सेंटर और क्रिप्टो एक्सचेंज को देश में साइबर सुरक्षा से संबंधित प्रतिक्रिया गतिविधियों और इमरजेंसी मेजर्स के मद्देनजर डेटा स्टोर करने को कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक नए कानून के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की मांगों को पूरा करने में फेल रहने पर एक साल तक की कैद हो सकती है. अगर यूजर अपनी सर्विस को रद्द कर दे तो भी उसके रिकॉर्ड पर कंपनियां नजर रखें. आईटी मंत्रालय ने नया निर्देश दिया है.
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कैसे काम करता है VPN?
प्राइवेसी को सुरक्षित रखने के लिए लोग देश में VPN सेवाओं का सहारा लेते हैं. वीपीएन या वर्चुअल प्रॉक्सी नेटवर्क यूजर्स को वेबसाइट ट्रैकर्स से फ्री रहने की इजाजत देते हैं जो यूजर्स के लोकेशन और दूसरे जैसे डेटा का ट्रैक रख सकते हैं. ये सेवाएं RAM-ओनली सर्वर्स पर चलती हैं. मानक अस्थायी पैमाने से परे उपयोगकर्ता-डेटा के किसी भी स्टोरेज को रोकती हैं.
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क्या होगा असर?
अगर नया नियम लागू किया जाता है तो कंपनियों को स्टोरेज सर्वर पर स्विच करने के लिए मजबूर किया जाएगा, जो उन्हें यूजर्स-डेटा में लॉग इन करने और इसे कम से कम पांच साल की निर्धारित अवधि के लिए स्टोर करने की अनुमति देगा. स्टोरेज सर्वर पर स्विच करने का मतलब कंपनियों के लिए कास्ट बढ़ जाएगा. अगर कोई कंपनी ऐसा करने में असफल रहती है तो 1 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है.
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Data कलेक्ट करो या जेल जाओ, सरकार ने VPN सर्विस प्रोवाइडर्स को दिए निर्देश