डीएनए हिंदीः सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी को आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले क्वॉन्टेटिव डेटा जुटाने करने के लिए बाध्य है. कोर्ट का साफ कहना है कि अपने पहले के फैसलों में जो आरक्षण के पैमाने तय किए हैं उनमें हम छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि समय-समय पर सरकार को यह रिव्यू करना चाहिए कि प्रमोशन में आरक्षण के दौरान दलितों को उचित प्रतिनिधित्व मिला है या नहीं.
यह भी पढ़ेंः Khar Sir का नया वीडियो आया सामने, RRB-NTPC परीक्षा विवाद पर छात्रों से बोले- हाथ जोड़ते हैं...
3 जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. इसमें जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई शामिल हैं. इससे पहले जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के बाद 26 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
यह भी पढ़ेंः UP Election 2022: कांग्रेस प्रत्याशी Farah Naeem ने दिया इस्तीफा, जिलाध्यक्ष पर लगाए गंभीर आरोप
केंद्र सरकार ने दी ये दलील
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ से कहा था कि यह सत्य है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के लोगों को अगड़े वर्गों के समान मेधा के स्तर पर नहीं लाया गया है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी थी एससी और एसटी समुदाय के लोगों के लिए ग्रुप 'ए' श्रेणी की नौकरियों में उच्चतर पद हासिल करना कहीं अधिक मुश्किल है और वक्त आ गया है कि रिक्तियों (Vacancies) को भरने के लिए सुप्रीम कोर्ट को एससी, एसटी और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए कुछ ठोस आधार देना चाहिए.
- Log in to post comments
Supreme Court का बड़ा फैसला, SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण पर नहीं बदलेंगे मानक