पिछले महीने की 15 तारीख को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर बड़ा फैसला सुनाते हुए इसे अवैध करार दिया था. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को निर्देश दिए थे कि वह अभी तक मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च से पहले सार्वजनिक करे. अब एसबीआई ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक मोहलत मांग ली है. एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील दी है कि हजारों दानदाताओं के लेनदेन का ब्योरा जुटाना और उसका मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया है, ऐसे में इसमें काफी समय लग सकता है. बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड एसबीआई से ही खरीदे जा सकते थे.

एसबीआई ने अपनी याचिका में कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की डिकोडिंग और दानकर्ताओं के दान से उसका मिलान एक जटिल प्रक्रिया होगी क्योंकि यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं कि दानदाताओं की पहचान गुप्त रखी जाए.

SBI ने कहा है, "इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद और बॉन्ड के भुनाने से संबंधित डेटा को अलग-अलग दर्ज किया गया था. कोई केंद्रीय डेटाबेस नहीं रखा गया था. ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दान देने वाले लोगों की पहचान गुप्त बनी रहे."


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सीलबंद लिफाफे में रखी जाती थी जानकारी
इसमें कहा गया है कि दान देने वालों की जानकारी संबंधित ब्रांच में एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया था और ऐसे सभी सीलबंद लिफाफे मुंबई की मुख्य ब्रांच में जमा किए गए थे.

इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि हर राजनीतिक दल को एक विशेष खाता बनाए रखना आवश्यक है जहां उस पार्टी द्वारा प्राप्त इलेक्टोरल बॉन्ड जमा किए जा सकते हैं और भुनाए जा सकते हैं और बॉन्ड की राशि जारी करते समय मूल बॉन्ड और पे-इन स्लिप को एक सीलबंद कवर में रखकर मुंबई की मुख्य ब्रांच को भेजा जाता था.

याचिका में कहा गया है कि इस प्रकार जानकारी के दोनों सेट एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से इकट्ठा किए जा रहे थे और उन्हें दोबारा मिलान करने के लिए काफी समय की जरूरत होगी. इसके लिए तीन हफ्ते की समय-सीमा पर्याप्त नहीं होगी.


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बता दें कि 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के पांच-जजों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना, 2018 को असंवैधानिक करार दिया और एसबीआई को तत्काल बॉन्ड जारी करने से रोकने का आदेश दिया था.

6 मार्च तक देनी थी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का विवरण (जैसे खरीद की तारीख, खरीदार का नाम और मूल्य) 6 मार्च तक चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशन के लिए आयोग के पास जमा करने के लिए कहा था.


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संविधान पीठ ने कहा था, "एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक इलेक्टोरल बॉन्ड के विवरण का खुलासा करना होगा जिसमें नकदीकरण की तारीख और चुनावी बॉन्ड का मूल्य शामिल होगा. एसबीआई इस फैसले की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर यानी 6 मार्च 2024 तक उपरोक्त जानकारी भारतीय निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करेगा."

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sbi asks for more time before releasing electoral bond details from supreme court
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इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा देने के लिए SBI ने मांगा 3 महीने का समय, SC से की अपील
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