डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर एन वी रमन्ना (N V Ramana) का आज आखिरी वर्किंग डे था. अब वह रिटायर हो रहे हैं और जस्टिस यू यू ललित (Jusitce U U Lalit) उनकी जगह लेंगे. देशद्रोह कानून (Sedition Law) पर रोक लगाने, पेगासस जासूसी की जांच का आदेश देने और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से लेकर हाई कोर्ट तक जजों की नियुक्ति करवाने जैसे अहम फैसलों की वजह से जस्टिस एन वी रमन्ना के कार्यकाल को काफी सफल और न्याय व्यवस्था के लिए शानदार माना जा रहा है. हालांकि, अपनी विदाई के मौके पर खुद एन वी रमन्ना ने कहा है कि लाखों की संख्या में पेंडिंग पड़े मामले आज भी न्याय व्यवस्था के लिए चुनौती बने हुए हैं.

कई अहम फैसलों के लिए मशहूर जस्टिस एन वी रमन्ना ने आखिरी दिन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करवाकर एक और कामयाबी अपने नाम कर ली. इसके अलावा, उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में 11 और हाई कोर्ट में 220 से ज्यादा जजों की नियुक्ति की गई जो कि अपने आप में ही एक रिकॉर्ड है.

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जजों की कमी पूरी करने की ओर बड़ा कदम
देश के 24वें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमन्ना आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के रहने वाले हैं. जब उन्होंने यह पद संभाला तो देश भर की अदालतों में जजों की कमी एक बड़ी समस्या थी. 2019 से 2021 के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक भी जज की नियुक्ति नहीं पाई थी. एन वी रमन्ना ने इसे भी पूरा किया और सिर्फ़ एक साल के अपने कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में 11 जजों की नियुक्ति कर दी जिसमें से कि तीन महिलाएं भी नियुक्त की गईं.

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उस समय देश के अलग-अलग हाई कोर्ट में लगभग 600 जजों के पद खाली थी. जस्टिस एन वी रमन्ना ने इसमें से 224 नामों की सिफारिश कर डाली. इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि कोरोना महामारी के बीच भी अदालतों का काम होता रहे. जजों के अलावा उन्होंने 100 से ज्यादा अधिकारियों, कानूनी और तकनीकी सहयोगियों की भी नियुक्ति की.

बड़े फैसलों ने बना दिया बड़ा नाम
लंबे समय से देशद्रोह कानून पर सवाल उठ रहे थे. यह मामला जस्टिस एन वी रमन्ना की अदालत में पहुंचा तो उन्होंने इसके तहत मुकदमा दर्ज करने पर तत्काल रोक लगा दी. बीते कुछ सालों में सत्ता पक्ष का विरोध करने वाले कई नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

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हाल ही में बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के मुद्दे पर जस्टिस रमन्ना की अगुवाई वाली स्पेशल बेंच ने गुजरात सरकार को नोटिस भी भेजा है. इसके अलावा, बेनामी संपत्ति, लखीमपुर खीरी हिंसा, पेगासस जासूसी और कई अन्य मामलों में जस्टिस एन वी रमन्ना के फैसलों ने न्याय व्यवस्था के प्रति लोगों की उम्मीदें जगाईं.

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देशद्रोह कानून, पेगासस जासूसी, जजों की नियुक्ति, जानिए क्यों याद रहेंगे NV रमन्न
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देशद्रोह कानून, पेगासस जासूसी, जजों की नियुक्ति, जानिए क्यों याद रहेंगे जस्टिस एन वी रमन्ना