डीएनए हिंदी : दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) ने घरेलू हिंसा कानून का हवाला देते हुए कहा है कि महिलाओं को अपने ससुराल में रहने का पूरा हक़ है.  यह हिन्दू मैरेज एक्ट में दर्ज क़ानूनों  से इतर कानून है. जस्टिस चंद्रधारी सिंह की अध्यक्षता में बैठी बेंच ने एक विवाहित युगल से जुड़े मामले पर यह फ़ैसला दिया. इस मामले में  एडिशनल सेशन जज के द्वारा दिए हुए फ़ैसले को ससुराल पक्ष की ओर से चुनौती दी गई थी. उच्च न्यायालय ने उस चुनौती  ख़ारिज करते हुए यह फ़ैसला दिया. 

विवाहित महिला ने ससुराल में रहने के लिए दिया था यह पिटीशन 
यह मसला विवाहित स्त्री के ससुराल में रहने से जुड़ा हुआ था. दरअसल महिला के अपने ससुराल वालों से सम्बन्ध शुरुआत में अच्छे थे पर धीरे-धीरे यह बिगड़ने लगा. महिला ने अपनी ससुराल सितम्बर 2011 में छोड़ दी थी. उसके बाद दोनों पक्षों के बीच साठ से अधिक सिविल और क्रिमिनल केस दायर किए गए. इनमें से एक मामला स्त्रियों की घरेलू हिंसा से सुरक्षा को लेकर जुड़ा हुआ था. कोर्ट की सुनवाई के दौरान स्त्री ने ससुराल में रहने को लेकर अपने अधिकार की बात उठाई थी. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने महिला की याचिका स्वीकृत कर ली थी और कहा कि महिला का अधिकार है कि वह ससुराली आवास की पहली मंजिल पर रह सकती है. 

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क्या है डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 
घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम(Domestic Violence Act) भारतीय संसद में 2005 में पारित किया गया था. इसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से स्त्रियों को बचाना था,  साथ ही उन्हें क़ानूनी सहायता उपलब्ध करवाना भी था. इसे 26 अक्टूबर 2006 को लागू किया गया था. यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट(Domestic Violence Act) में औरतों के अधिकार हिन्दू मैरेज एक्ट से इतर सुरक्षित किए गए हैं. 

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Delhi high court says women have rights to stay at in-laws place
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घरेलू हिंसा कानून के तहत महिलाओं को हक़ है कि वे ससुराल में रहें : Delhi High Cou
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