डीएनए हिंदीः ऑप्टिक तंत्रिका अध:(Optic nerve degeneration) पतन और अत्यधिक तनाव लेना ग्लूकोमा (glaucoma) का खतरा बढ़ा देता है. ग्लूकोमा अमूमन 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में अंधेपन (blindness) के मुख्य कारणों में से एक है. ग्लूकोमा के रोगियों में अक्सर इंट्राओकुलर दबाव (intraocular pressure (IOP) बढ़ जाता है, जिसे आंखों का दबाव भी कहा जाता है.
लिथुआनियाई विशेषज्ञों की शोध टीम ने अपने अध्ययन में पाया की आंख और दिमाग को जोड़ने में नस पर दबाव बढ़ने से ग्लूकोमा का कारण बनता है. तनाव से ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम में असंतुलन और वस्कुलर डिरेगुलेशन के कारण आंखों और दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
ग्लूकोमा लिथुआनिया के कौनास यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (केटीयू) के प्रोफेसर अरमिनास रागौस्कस का कहना है कि आंख और ब्रेन के अंदर दो दबावों के कारण होने वाली स्थिति से ग्लूकोमा का खतरा बढ़ता है.
ऑप्टिक तंत्रिका मस्तिष्क से जुड़ी होती है, और मस्तिष्कमेरु द्रव से घिरी होती है. दोनों इंट्राकैनायल दबाव (आईसीटी), जो हमारी खोपड़ी के अंदर का दबाव है, मस्तिष्कमेरु द्रव में मापा जाता है, और इंट्राओकुलर दबाव (आईओपी) ऑप्टिक तंत्रिका की स्थिति को प्रभावित कर सकता है. हाल ही में, शोधकर्ताओं ने दो दबावों के बीच संतुलन पर ध्यान केंद्रित किया है, यानी ट्रांसलामिनर प्रेशर डिफरेंशियल (टीपीडी) और इसका ग्लूकोमा के विकास से संबंध है.
तनाव से होती है आंखों में परेशानी
रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि इंट्राओकुलर प्रेशर में बढ़त, एंडोथेलियल डिसफंक्शन (फ्लैमर सिंड्रोम) और सूजन तनाव के कुछ ऐसे नतीजे हैं, जिससे और नुकसान होता है. आंखों की नर्व और ब्लड वेसल्स कोर्टिसोल नाम के हॉर्मोन से प्रभावित होते हैं. यह आंखों को प्रभावित करता है. जब हम तनाव में होते हैं तब आंखों के अंदर मौजूद फ्लूइड में तनाव बढ़ने के साथ दवाब बढ़ता है, जिससे ब्लड वेसल्स के सूखने का खतरा रहता है. यह आंखों में होने वाली कई तरह की समस्या का कारण बनता है.
7-8 घंटे की नींद जरूर लें
यदि किसी व्यक्ति की आंखों का इलाज चल रहा है और इस दौरान वह व्यक्ति ज्यादा तनाव लेता है तो उसकी आंखें देर में ठीक होती हैं. हालांकि हर दिन कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें. नींद पूरी न होने से भी तनाव बढ़ने की संभावना होती है. यह आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकती है.
खर्राटे, दिन में सोने से ग्लूकोमा का जोखिम 11% ज्यादा
नींद पैटर्न वाले लोगों की तुलना में खर्राटे और दिन की नींद में ग्लूकोमा का जोखिम 11% बढ़ जाता है. अनिद्रा और छोटी या लंबी नींद लेने वालों में यह खतरा 13% तक बढ़ जाता है. स्वभाव, सीखने की क्षमता व याददाश्त पर भी असर पड़ता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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लो ब्रेन प्रेशर और तनाव से ग्लूकोमा का डर, नजर कमजोर होने का खतरा बढ़ा