डीएनए हिंदी : जो बीमारियां पहले उम्रदराजों को घेरती थीं, उसकी चपेट में अब नौजवान भी आने लगे हैं. हाल के दिनों में ऐसे कई वीडियो वायरल हुए हैं जिसमें कोई नौजवान खेलते या नाचते वक्त हार्ट अटैक का शिकार हुआ और जान चली गई. हाल ही में एम्स ने एक डेटा साझा किया है जिसके मुताबिक स्ट्रोक, साइलेंट स्ट्रोक और हार्ट अटैक अब बुजुर्गों से ज्यादा नौजवानों को परेशान कर रहे हैं.
एम्स के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में भर्ती 100 मरीजों में से 20 मरीज को स्ट्रोक हो चुका है. पिछले साल कम उम्र के 6 मरीजों को स्ट्रोक के कारण एडमिट करवाया गया है. डॉक्टरों के मुताबिक इन मरीजों के स्ट्रोक के पीछे का कारण हाई बीपी की परेशानी है. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने एम्स के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के एडिशनल प्रोफेसर अवध किशोर पंडित के हवाले से बताया कि एम्स के डेटा के हिसाब से हाई बीपी के कारण नौजवानों में स्ट्रोक का खतरा बढ़ा है. 5 साल पहले एम्स के रिसर्च के मुताबिक 260 मरीजों में से 65 प्रतिशत हाई बीपी के मरीज होते थे.
क्या है स्ट्रोक
ब्लड वेसेल्स के रुकावट (इस्केमिक स्ट्रोक) और ब्लड वेसेल्स के टूटने (हेमोरेजिक स्ट्रोक) के कारण इमरजेंसी ब्रेन, रेटिना और रीढ़ की हड्डी में डिसऑर्डर होती है. डायबिटीज, हाई बीपी, धूम्रपान, दिल की धड़कन में गड़बड़ी के कारण स्ट्रोक का खतरा 85 प्रतिशत बढ़ जाता है.
स्ट्रोक और हार्ट अटैक में अंतर
ब्रेन में रक्त के प्रवाह में जब रुकावट पैदा होती है तब स्ट्रोक कहलाता है, जबकि हृदय तक यदि पर्याप्त मात्रा में रक्त न पहुंचे तो उेसे दिल का दौरा. साइलेंट स्ट्रोक की स्थिति तब बनती है जब ब्रेन की ओर रक्तप्रवाह धीरे हो जाता है.
तनाव और डिप्रेशन से भी ब्रेन स्ट्रोक
दिल से जुड़ी बीमारी, डायबिटीज, लिपिड डिसऑर्डर, मोटापा, धूम्रपान, के कारण स्ट्रोक के मामले बढ़ते हैं. कुछ और भी कारण है जिससे स्ट्रोक होता है जैसे- तनाव, नशाखोरी, नींद की कमी और डिप्रेशन लगभग 40 से 50 प्रतिशत मामले. गर्दन में झटके, अचानक गर्दन का मुड़ना, जिम में गर्दन की वजह से भी स्ट्रोक आ सकता है.
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WH0 की राय
दुनियाभर में हाई बीपी के मरीज बढ़े हैं. 3 में से 1 मरीज हाई बीपी का होने लगा है. जिसके कारण स्ट्रोक, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, किडनी डैमेज जैसी समस्या सामने आती है. हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों की संख्या 1980 और 2019 के बीच काफी ज्यादा बढ़ी है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस तरह की किसी बीमारी का लक्षण दिखे तो तुरंत अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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