डीएनए हिंदी: तीन दिनी लिटरेरिया महोत्सव की शुरुआत शुक्रवार को दीप प्रज्वलन के साथ हो गई. बीसी रॉय ऑडिटोरियम, सियालदह में शुरू हुए इस महोत्सव में युवा नृत्यांगना सोनाली पांडेय ने काव्य नृत्य की प्रस्तुति दी. स्वागत वक्तव्य संस्था के संरक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह ने दिया. उन्होंने कहा कि नीलांबर का हर सदस्य अपनी भूमिका से संस्था का प्रतिनिधित्व करता है. हमें सोचना चाहिए कि वैचारिक स्तर पर हम कहां थे और कहां जा रहे है.
सेमिनार का पहला सत्र 'श्रद्धा का विकलांग दौर और परसाई' था. इस पर आलोचक इतु सिंह ने कहा कि यह वैचारिक विकलांगता का दौर है. शारीरिक विकलांगता तो स्वीकार्य होती है, लेकिन ठीक‌ उल्टे वैचारिक विकलांगता अक्षम्य है. उन्होंने कहा कि राजनैतिक प्रतिबद्धता के बावजूद परसाई पाठकों को वैचारिक स्वतंत्रता ‌देते थे. इस मसले पर कवि और आलोचक प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि परसाईं के व्यंग्य के शीर्षक अपने आप में शोध का विषय हैं. उन्होंने कहा कि विवेक के अभाव में हम‌ विरोध के स्थान पर ताली बजा रहे हैं. आलोचक मोहन श्रोत्रिय ने आज के दौर को श्रद्धा का विकलांग दौर कहने के बजाय इसे दिव्यांग श्रद्धा का दौर कहना ज्यादा उचित माना. उन्होंने कहा कि विश्व साहित्य और विश्व राजनीति की गहरी समझ परसाई में थी, जिसके नजदीक एकमात्र मुक्तिबोध ठहरते हैं. इस सत्र की अध्यक्षता कथाकार और कवि उदय प्रकाश ने की. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो सरोकार मात्र स्वास्थ्य तक सीमित है, उसे विचार पर भी केंद्रित करना होगा. उन्होंने कहा कि अब वह राजनीति बची नहीं है, जिससे आधुनिकता का जन्म हुआ था.

इसे भी पढ़ें : फोसवाल साहित्य महोत्सव 2023 का आयोजन 3 से 6 दिसंबर तक नई दिल्ली में

व्यंग्य लोकतंत्र का हिस्सा

सेमिनार के दूसरे सत्र का विषय था 'आजाद मुल्क का दरबारी राग'. इस विषय पर युवा कवि विहाग वैभव ने  'गोदान', 'मैला आंचल', 'महाभोज' और 'वारेन हेस्टिंग्स का सांड़' के मार्फत अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि आज के लोकतंत्र को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह बिना‌ संघर्ष मिला‌ है. स्वप्न भंग इसकी परिणति है. आलोचक वेद रमण ने कहा कि आजाद मुल्क का दरबारी राग मात्र राजनीति तक‌ सीमित ‌न‌हीं, बल्कि साहित्य में भी यह संस्कृति व्याप्त है. उन्होंने प्रेमचंद के 'सूरदास', रेणु के 'बामनदास' और उदय प्रकाश के 'मोहनदास' के बीच के संबंध को रेखांकित किया. आलोचक और चिंतक मणींद्रनाथ ठाकुर ने कहा कि आज ज्ञान की राजनीति ने हमारे पारंपरिक ‌ज्ञान को समाप्त कर दिया है. आज जो ज्ञान की परंपरा चल रही है वह आजादी के समय के ज्ञान परंपरा से भिन्न है. इस मौके पर आलोचक सुधीश पचौरी अपने अध्यक्षीय वक्तव्य के माध्यम से व्यंग्य के महत्त्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि हम‌ सबके‌ भीतर ‌एक‌ परसाई है जो ताकतवर,‌ शोषक‌ वर्ग के विरुद्ध व्यंग्य के‌ माध्यम से प्रतिरोध व्यक्त करता है. व्यंग्य लोकतंत्र का एक‌ हिस्सा है जिसमें असहमति व्यक्त होती है. सेमिनार के दोनों सत्रों का संचालन विनय मिश्र ने किया.

'गजल की एक शाम' में शिरकत करते (बाएं से दाएं) सुनील कुमार शर्मा, परवेज अख्तर, शैलेश गुप्ता, अयाज खान अयाज और अविनाश दास.

लघु फिल्म 'संवदिया' का प्रदर्शन

इन दो सत्रों के बाद नीलांबर की टीम ने अविनाश मिश्र की कविताओं से तैयार कोलाज 'बहुत सारा चारा, बहुत कम दूध' प्रस्तुत किया. इसमें हिस्सा लेने वाले कलाकार थे - दीपक ठाकुर, निखिल विनय, अमित मिश्रा, ज्योति भारती और प्रज्ञा सिंह.‌ इस दिन 'गजल की एक शाम' का आयोजन किया गया. इसमें आमंत्रित शायरों में शामिल थे अविनाश दास, सुनील कुमार शर्मा, परवेज अख्तर, शैलेश गुप्ता और अयाज खान अयाज. गजल की इस शाम का संचालन शायरा रौनक अफरोज ने किया. महोत्सव के पहले दिन का समापन फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी पर निर्मित लघु फिल्म 'संवदिया' से हुआ. धन्यवाद ज्ञापन पूनम सोनछात्रा ने किया.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Literaria 2023 First day Uday Prakash says to focus concern on ideas also
Short Title
Literaria 2023 का पहला दिन: विचार पर केंद्रित करना होगा अपना सरोकार : उदय प्रकाश
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
लिटरेरिया 2023 के पहले दिन मंच पर मौजूद (बाएं से) मोहन श्रोत्रिय, उदय प्रकाश, प्रियंकर पालीवाल और इतु सिंह.
Caption

लिटरेरिया 2023 के पहले दिन मंच पर मौजूद (बाएं से) मोहन श्रोत्रिय, उदय प्रकाश, प्रियंकर पालीवाल और इतु सिंह.

Date updated
Date published
Home Title

Literaria 2023 का पहला दिन: विचार पर भी केंद्रित करना होगा अपना सरोकार : उदय प्रकाश

Word Count
617