डीएनए हिंदी : दिल्ली में चल रहे फोसवाल महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार को युद्धों से उपजी पीड़ा और उसकी निर्थकता पर चर्चा  हुई. इसके साथ ही अंग्रेजी कविताओं, पेपर और फिक्शन अंश का पाठ हुआ. बता दें कि 'फाउंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर' द्वारा आयोजित इस महोत्सव का आयोजन अकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर के सभागार में किया जा रहा है. 
पहले सत्र में युद्धों से उपजी पीड़ा की चर्चा करते हुए नेता और संस्कृतिकर्मी  केजे अल्फोंस ने कहा, "हम अभी बात यूक्रेन-रूस और हमास-इजराइल युद्ध पर भले ही कर रहे हैं, मगर हिंसा सबसे पहले हमारे भीतर है. हमारे पास जो है हम उससे खुश नहीं हैं. और ज्यादा पाने की इच्छा ही हिंसा की जननी है. आज दुनिया को महात्मा बुद्ध के सुझाए रास्ते पर चलने की जरूरत है. अगर इन्सान अपने भीतर की हिंसा को खत्म कर ले तो दुनिया में फैली हिंसा भी मिट जाएगी."

हर लेखक शांति चाहता है

बांग्लादेश से आए लेखक-कवि फकरुल आलम ने कहा, "इतिहास को हम जबरन बदल नहीं सकते." उन्होंने बांग्लादेश में हुई हिंसा की विभीषिका की आपबीती भी सुनाई. उन्होंने कहा, "हर लेखक शांति चाहता है. अगर वह युद्ध पर लिखता है तो शांति की चाह में लिखता है." आईसीसीआर के डायरेक्टर जनरल सुरेश के गोयल ने कहा, "गाजा में मानवता की हत्या की जा रही है. रिफ्यूजी कैंप में रह रहे लोगों पर इस संदेह में बमबारी की जा रही कि उन्होंने हमास से जुड़े लोगों को छिपा रखा है. किसी एक व्यक्ति के अहंकार की बलि इतने निर्दोषों को चढ़ना पड़ रहा है." क्या कभी इस संसार से युद्ध खत्म हो सकते हैं? इस प्रश्न के साथ उन्होंने अपनी बात समाप्त की.

अंग्रेजी कविताओं का पाठ

कार्यक्रम के अगले सत्र में अंग्रेजी कविताओं का पाठ हुआ. सार्क देशों से आए प्रतिनिधियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं. इस सत्र में हिस्सा लेने वाले कवियों में बांग्लादेश के डॉक्टर कमरुल हसन, नेपाल के नाज सिंह, डॉ भीष्म उप्रेती, बांग्लादेश से आए डॉ शिहाब शहरयार, भारत की वर्षा दास, यशोधरा मिश्रा व लिली स्वर्ण शामिल थे.

इसे भी पढ़ें : Phoswal Literature Festival 2023: दिल्ली में शुरू हुआ चार दिनी महोत्सव, वक्ता बोले- वैश्विक ईश्वर न हिंदू था न मुसलमान

सूफीवाद पर चर्चा

इसके बाद पेपर और फिक्शन अंश का पाठ हुआ. बांग्लादेश के शाहिद कईस ने बांग्लादेश में सूफीवाद पर बोलते हुए कहा, "सूफीवाद बांग्लादेश की आत्मा में बसा हुआ है. यहां के धर्म,  इतिहास, संस्कृति, संगीत का अभिन्न हिस्सा रहा है. कुछ लोगों के लिए सूफी संगीत थेरेपी की तरह काम करता है." सूफीवाद के प्रसार के बारे में उन्होंने कहा, "कबीरदास ने अपनी वाणी से सूफीवाद को एक अलग मुकाम पर पहुंचाने का काम किया." भूटान से आईं लेखिका लिली वांगचुक ने अपने जीवन के संघर्ष और अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा, "जीवन सिर्फ संघर्षों का नाम नहीं बल्कि इस संसार की सुंदरता का साक्षी बनना भी है. मेरे भीतर की पीड़ा ने, दुख ने ही मुझे मेरे इर्द-गिर्द फैली एनर्जी से साक्षात्कार करवाया और मैंने जाना हम इस संसार में अपना सकारात्मक रोल अदा करने आए हैं."

इसे भी पढ़ें : कथाकार राजू शर्मा को उपन्यास 'मतिभ्रम' के लिए दिया जाएगा दूसरा सेतु पांडुलिपि पुरस्कार

युद्ध की निरर्थकता पर बात

दोपहर के भोजन के बाद सत्र की शुरुआत एक बार फिर कविता पाठ से हुई, जिसमें भारत की ट्रीना चक्रवर्ती, किरीति सेनगुप्ता, डॉक्टर वनिता, भूटान से डॉक्टर चाडोर वांगमो, नेपाल के गोविंदा गिरी प्रेरणा बांग्लादेश के यूसुफ मोहम्मद और सेनजुति बरुआ ने हिस्सा लिया. अगले सत्र में फिर वर्तमान में चल रहे दो युद्धों की निर्थकता पर बात हुई. डॉ आयुषी कटुआर ने शांति समझौतों में महिलाओं की उपस्थिति की अहमियत को साझा करते हुए गुजरात की पावरफुल लेडी हंसा मेहता के योगदान के बारे में चर्चा की. डॉ एक प्रसाद ने युद्ध रोकने के उपायों पर अपने विचार व्यक्त किये. श्रीलंका की के कंचन प्रियकंथा ने कहा, "हम इतिहास नहीं बदल सकते हैं, मगर इतिहास की गलतियों को दोहराने से बच सकते हैं." आखिर में फिक्शन और पेपर पढ़ने का कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें श्रीलंका के प्रोफेसर के श्रीगणेशन और डॉक्टर निरोशा सलवाथुरा नेपाल के डॉक्टर भीष्म उप्रेती और बांग्लादेश के प्रोफेसर अब्दुल सलीम ने हिस्सा लिया.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Discussion on war took place on second day of phoswal festival everyone said–wars are meaningless
Short Title
Phoswal Festival: कवि फकरुल आलम ने बांग्लादेश में हुई हिंसा की सुनाई आपबीती
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
फोसवाल महोत्सव के दूसरे दिन युद्ध पर हुई चर्चा.
Caption

फोसवाल महोत्सव के दूसरे दिन युद्ध पर हुई चर्चा.

Date updated
Date published
Home Title

Phoswal Festival 2023: दूसरे दिन लेखक-कवि फकरुल आलम ने बांग्लादेश में हुई हिंसा की आपबीती सुनाई

Word Count
717