डीएनए हिंदी : होली की छुट्टी के बाद बिहार और उत्तर प्रदेश से अपने काम-काज पर वापस लौट रहे लोगों के लिए सफ़र बेहद मुश्किल भरा प्रतीत हो रहा है. इसकी प्रमुख वजह ट्रेनों में रिज़र्वेशन (Train Reservation) नहीं मिल पाना है. होली और छठ पर बिहार और उत्तर प्रदेश जाने वाले लोगों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती है. घर से दूर रह रहे प्रवासी त्योहार अपने परिवार के साथ मनाना चाहते हैं. गौरतलब है कि होली के दो हफ़्ते पहले से बिहार और उत्तर प्रदेश जाने वाली ट्रेन के फुल होने की ख़बरें आ रही थीं. होली के अवसर पर उत्तर रेलवे द्वारा कई होली-स्पेशल ट्रेन(Special Tain) चलाई गई थीं.
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आरक्षण नहीं मिलने पर क्या किया लोगों ने?
बिहार-उत्तरप्रदेश की ट्रेनों(Trains to Bihar & UP) में आरक्षण नहीं मिलने की वजह से कई लोगों ने अपनी ट्रेन यात्राओं को रद्द कर बस से सफ़र करना मुनासिब समझा तो कई लोग समय पर काम पर पहुंचने की ख़ातिर होली के दिन ही अपनी यात्रा की शुरुआत कर दी. मसलन कानपुर से लौट रहे कन्हैया को ट्रेन की टिकट नहीं मिली तो वे बस से ही दिल्ली पहुंचे.
बिहार से दिल्ली आ रहे राजेश शाही ने होली के एक दिन बाद ट्रेन में आरक्षण नहीं हो पाने के बाद अपनी यात्रा ऐन त्योहार के दिन शुरू की. राजेश शाही ट्रेन की व्यवस्था की ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि पेंट्री थी पर बेडिंग उपलब्ध नहीं है
(राजेश शाही)
दिल्ली तक चलने वाली ट्रेनों की संख्या
ट्रेन टिकट बुकिंग (Train Reservation) में भी हस्तक्षेप रखने वाले डिजिटल ब्रांड पेटीएम् के अनुसार केवल बिहार की राजधानी पटना से रोज़ 13 ट्रेनें और 26 वीकली ट्रेन चला करती हैं. कई अन्य ट्रेनें बिहार के अन्य हिस्सों की ओर जाती हैं. होली और छठ के अवसर पर स्पेशल ट्रेन चलाई जाती हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के दो मुख्य शहरों कानपुर और लखनऊ से क्रमश: 33 और 15 ट्रेन चलती हैं.
रेलवे जूझ रहा है ट्रेन कोच, लोकोमोटिव और रूट्स की कमी से
त्योहार के अवसरों पर ट्रेन रिजर्वेशन में होने वाली समस्या को लेकर जब रेलवे के उच्चाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि त्योहारों से पहले लोगों की यात्रा पैटर्न के आधार पर रेलवे अप एन्ड डाउन स्पेशल ट्रेनें चलाती है. इन ट्रेनों के नंबर 'ज़ीरो(0)' से शुरू होते हैं. रेलवे की कोशिश यह होती है कि अधिकतम लोगों को ट्रेन की टिकट मिल सके पर इस वक़्त रेल विभाग कोच, लोकोमोटिव और रूट्स तीनों की कमी से जूझ रहा है. अधिक स्पेशल ट्रेन चलाने की कोशिश की गई तो रेलवे की कमाई पर असर पड़ सकता है क्योंकि ये स्पेशल ट्रेनें(Special Tain) अक्सर मालगाड़ियों को समय-सारणी से हटाकर चलाई जाती हैं.
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