डीएनए हिंदी: निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की बचत का सबसे बड़ा साधन अब कुछ मायनों में फिजूल साबित हो रहा है क्योंकि EPFO ने पीएफ की ब्याज दरों को बढ़ाने की उम्मीद के बीच और अधिक घटा दिया है. नतीजा यह हुआ है कि नई ब्याज दरें 40 साल की सबसे कम है. EPFO ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पीएफ पर ब्याज दर 0.40 फीसदी की कटौती कर 8.10 फीसदी तय कर दी है. PF के दायरे में आने वाले देश के 7 करोड़ सब्सक्राइबर्स के लिए ब्याज दरों में कटौती की यह खबर किसी बड़े झटके से कम नहीं है.
8.10 फीसदी की नई ब्याज दर
पुराने आंकड़ों को देखें तो ईपीएफओ की यह तय ब्याज दर पिछले करीब 40 साल में सबसे कम है. 1977-78 में EPFO ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था. उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे ज्यादा ही रहा था. वहीं पिछले दो वित्त वर्षों 2019-20 और 2020-21 की बात करें तो ब्याज दर 8.50 फीसदी रही है और इसे अब 8.10 फीसदी कर दिया गया है.
आपको बता दें कि 1952 में जब भारत सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की स्थापना की तब ये EPF स्कीम 1952 एक्ट को लागू किया गया. यहीं से PF पर मिलने वाले ब्याज की शुरुआत हुई. शुरुआत में इस पर ब्याज दर महज 3% थी. इसके बाद वित्त वर्ष 1955-56 में इसे पहली बार बढ़ाया गया. दो साल के लिए तय की गई यह ब्याज दर 3.50 फीसदी रही. इसके बाद 1963-64 में इसे 4 फीसदी तक बढ़ाया गया था.
दहाई अंकों का छुआ था आंकड़ा
पिछले काफी वक्त से पीएफ में कटौती ही देखने को मिल रही है लेकिन एक वक्त पीएफ के लिए सुनहरा माना जाता था. पीएफ पर मिलने वाला ब्याज 1985-86 में पहली बार राजीव गांधी की सरकार के दौरान दहाई अंकों तक गया था जब में सरकार ने इसे 9.90 फीसदी से बढ़ाकर 10.15 फीसदी कर दिया था. इसके बाद और ऊंची छलांग देखने को मिली. जब अगले ही साल 1986-87 के लिए ब्याज दर 11 फीसदी तय की गई थी.
इसके बाद भी एक करिश्मा हुआ और ईपीएफओ ने 1989-90 में पीएफ पर सबसे अधिकतम ब्याज 12 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया गया और खास बात यह है कि इसे करीब इसके बाद सन् 2000 तक बदला ही नहीं गया. वित्त वर्ष 2000-01 तक पीएफ पर 12% ही ब्याज मिलता रहा लेकिन उसके बाद इसमें लगातार कटौती की गई है.
2010 -11 में आखिरी बार मिली थी बड़ी खुशखबरी
साल 2004-05 में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को झटका मिला और EPF ब्याज दर सीधे 1 फीसदी की कटौती की गई और इसे 9.50 फीसदी से घटाकर 8.50 फीसदी कर दिया गया. हालांकि, 2010-11 में इसे बढ़ाकर फिर से 9.50 फीसदी तय किया गया लेकिन 2011-12 में फिर एक बार बड़ी कटौती की गई. इसे सीधे 9.50 फीसदी से घटाकर 8.25 फीसदी कर दिया गया.
वहीं मोदी सरकार आने के बाद 2014-15 में इसे एक बार फिर बढ़ाकर 8.75 फीसदी किया गया और 2015-16 में 8.80 फीसदी तक पहुंचाया गया लेकिन उसके बाद से इसमें डाउनफॉल ही देखने को मिल रहा है. वहीं पैसे की बात करें तो मान लीजिए यदि EPF अकाउंट में 31 मार्च 2022 तक कुल 5 लाख रुपए जमा हैं. ऐसे में अगर आपको 8.50% की दर से ब्याज मिलता तो आपको 5 लाख पर 42,500 रुपए ब्याज के रूप में मिलते लेकिन अब ब्याज दर को घटाकर 8.10% करने के बाद आपको 40,500 रुपए ब्याज मिलेगा जिससे आपको सीधा 2000 रुपये का बड़ा घाटा होगा.0
वित्त वर्ष | ब्याज दरें (फीसदी में) |
1952 | 3 |
1956 | 3.50 |
1963-64 | 4 |
1977-78 | 8 |
1985-86 | 10.15 |
1989-01 | 12 |
2004-05 | 8.50 |
2010-11 | 9.50 |
2011-12 | 8.25 |
2014-15 | 8.75 |
2015-16 | 8.80 |
2021-22 | 8.50 |
वर्तमान 2022-23 | 8.10 |
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वहीं अब इसे ईपीएफओ ने घटाकर 8.10 फीसदी कर दिया है जबकि लोगों को उम्मीद थी कि इसमें बढ़ोतरी की जाएगी लेकिन अब उन सारी उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. संभवतः यही कारण है कि अब लोग EPFO में निवेश करने के बजाए म्युचुअल फंड और शेयर मार्केट समेत क्रिप्टोकरंसी में निवेश कर रहे हैं.
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