मिडिल ईस्ट में एक नई लड़ाई का आगाज हो चुका है. इजरायल एक बार फिर से हमास के साथ जंग में जा चुका है. वहीं दूसरी तरफ यूएस भी यमन के हूती बागियों के खिलाफ जंग की शुरूआत कर दी है. 15 मार्च से लेकर अब तक यूएस की तरफ से हूतियों के 10 से अधिक ठिकानों पर हवाई अटैक किए जा चुके है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी हो गया हैं कि ये हूती बागी कौन हैं? इनका यूएस और इजरायल से क्या लड़ाई है. इस जंग से हम कितने प्रभावित होंगे. और सबसे बड़ी बात कि कब खत्म होगा ये युद्ध. आइए, इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं.
हूती बागी कौन हैं?
हूती बागी यमन के एक शिया मुस्लिम ग्रुप हैं. इस ग्रुप का वास्तविक नाम अंसार अल्लाह है. इसके सुर्प्रीम लीडर अब्दुल मलिक अल हूती हैं. इसका गठन 1990 के दशक मे हुआ था. 2014 में इन्होंने यमन की राजधानी सना को अपने कब्जे में ले लिया था. इसके बाद यमन गृहयुद्ध की आग में जलने लगा. इस आग में घी डालने का काम अरब और उसके सहयोगियों ने किया, जब 2015 में उन्होंने यमन में मिलिट्री ऑपरेशन शुरू कर दिया. वे कभी नहीं चाहते थे कि हूती ग्रुप वहां की सत्ता में आए, और दिलचस्प बात ये है कि इस पूरे ऑपरेशन को यूएस और पश्चिमी देश समर्थन कर रहे थे. वहीं शिया मुल्क ईरान शिया हूती बागियों की मदद कर रहा था.
हूती बागी की लड़ाई यूएस और इजरायल के साथ क्यों?
वो साल था 2023 का, और महीना था अक्टूबर. इजरायल और हमास के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध की शुरुआत हो गई. इस दौरान हूती बागियों ने घोषणा कर दी कि यदि इजरायल गाजा पर बम गिराएगा, तो वे इजरायल और उसके सहयोगियों पर जमकर हमाला करेंगे. आखिर हुआ भी ऐसा ही. दिसंबर 2023 से हूती बागियों ने रेड सी में इजरायली और यूएस की शिपों पर ड्रोन और मिसाइल अटैक शुरू कर दिए. इनका टारगेट इजरायल को आर्थिक रूप से हानि पहुंचाना था. अब यूएस इतनी आसानी से चुप तो बैठने वाला नहीं था. जनवरी 2024 में यूएस और ब्रिटेन ने यमन में हूती इलाकों पर बमबारी कर दी. लेकिन ये हूती बागी फिर भी नहीं माने और वो बदस्तूर अपनी यूएस और इजरायल विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते रहे. इसी का नतीजा हैं कि यूएस फिर से इनके ऊपर बमबारी कर रहा है.
इस जंग से हम कितने प्रभावित होंगे?
रेड सी जिसे हिंदी में हम लाल सागर कहते हैं. ये विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक रास्तों में से एक है. भारत, यूरोप और यूएस के बीच ज्यादातर व्यापारिक सामग्रियों का आवागमन इसी रास्ते से होता है. अब जब हूती बागियों ने यहां अटैक करने लगे, तो कई बड़ी शिपिंग कंपनियों ने इस रास्ते का उपयोग करना छोड़ दिया है. इसका अंजाम ये हुआ कि शिपिंग लागत में इजाफा देखने को मिला. पेट्रोल-डीजल और बाकी सामग्रियों की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई. यदि ये कॉन्फ्लिक्ट यूं ही चलता रहा तो आने वाले समय में महंगाई अपने चरम पर जा पहुंचेगी.
कब खत्म होगा ये युद्ध
यूएस और ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देश तो खुले तौर पर तो हूती बागियों के खिलाफ हैं, और उनपर अटैक कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ईरान जैसे मुल्क बेहद गुप्त तरीके से हूतियों का समर्थन करते रहते हैं. ईरान के ऊपर आरोप लगते रहे हैं कि वो गुपचुप तरीके से हूतियों को हथियार और मिसाइल सप्लाई करता रहता है. इससे स्थिति एक बड़े संघर्ष की ओर चली जाती है. ये संघर्ष यदि और भी बढ़ता गया तो ये लड़ाई पूरे मिडिल ईस्ट में भयानक कॉन्टिनेंटल वार का शक्ल ले सकता है.
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