मोदी सरकार ने वन नेशनल वन इलेक्शन बिल (One Nation One Election Bill) को मंगलवार लोकसभा में पेश कर दिया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 'संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024' को सदन पर रखा. बिल पेश होते ही कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया और संघीय ढांचे के खिलाफ बताया. इसके बाद इस पर वोटिंग की गई. जिसमें बिल के पक्ष में 269 वोट पड़े, जबकि विरोध में 198 सासंदों ने वोट किया. इसके बाद कानून मंत्री के प्रस्ताव पर इस बिल को व्यापक विचार-विमर्श करने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया.
भारत में एक साथ चुनाव कराने को लेकर पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी. जिसका काम यह जानना था कि एक देश एक चुनाव कराना ठीक रहेगा या नहीं. कमेटी ने मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभा के साथ-साथ पंचायत चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया गया था. इसके बाद सितंबर में मोदी कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी और शीतकालीन सत्र में लाने की बात कही.
वन नेशन वन इलेक्शन बिल को पास कराने के लिए मोदी सरकार को संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत है. इस बिल की वजह से संविधान के अनुच्छेद 328 पर भी प्रभाव पड़ेगा. इतना ही नहीं राज्यों की अनुमति भी लेनी पड़ेगी. संविधान के अनुच्छेद 368(2) के अनुसार, ऐसे बिल के लिए कम से कम 50 फीसदी राज्यों की रजामंदी जरूरी है. बीजेपी की 10 राज्यों में अपनी सरकार है, जबकि 8 में उसके नेतृत्व वाली एनडीए की है. इसलिए राज्यों में तो उनको समर्थन मिल जाएगा. लेकिन संसद में आंकड़ा नहीं है.
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लोकसभा में कहां अटका बहुमत का आंकड़ा?
वहीं, संसद में नंबरगेम की बात करें तो 543 सदस्यीय वाली लोकसभा में बीजेपी के 240 सांसद हैं. नीतीश कुमार की JDU, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना की बैसाखी के सहारे उसकी सरकार बनी हुई है. एनडीए के पास कुल 292 सीटें हैं. अगर वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लोकसभा में पास कराना है तो उसके लिए दो तिहाई बहुमत यानी 362 सदस्यों का समर्थन चाहिए.
उधर,राज्यसभा में सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है. राज्यसभा की 245 सीटों में एनडीए के पास अभी 112 सदस्य हैं. मोदी सरकार के पास 6 मनोनीत सांसदों का भी समर्थन है. जिसके बाद उनकी संख्या 118 हो जाती हैं. लेकिन बिल पास कराने के लिए दो तिहाही 164 सीटों की आवश्यकता है. जिसके लिए उसे 46 सीटें चाहिए. यानी इस बिल को पास कराने के लिए मोदी सरकार को विपक्ष की जरूरत है. विरोध करने वाली विपक्षी पार्टियों के पास लोकसभा में 205 और राज्यसभा में 85 सीटें हैं.
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वन नेशन वन इलेक्शन बिल पास कराना क्यों टेढ़ी खीर, बहुमत में कहां अटकी मोदी सरकार?