Imposition of the President Rule in Manipur: मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद स्थिति नियंत्रित करने के लिए हिंसा प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया. अब वहां उग्रवादी समूहों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई चल रही है. सिर्फ़ एक हफ़्ते में सुरक्षा बलों ने 30 से ज़्यादा उग्रवादियों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें विभिन्न उग्रवादी संगठनों के एक वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं. बताया यह भी जा रहा है कि कई ग्रामीण स्वयंसेवकों को भी हिरासत में लिया गया, जिससे इंफाल और आस-पास के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत हो गई है.
गिरफ्तार किए गए उग्रवादी विभिन्न घाटी-आधारित विद्रोही समूहों से संबंधित हैं, जिनमें कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए), पीआरईपीएके और केवाईकेएल, साथ ही कुकी उग्रवादी समूह जैसे कुकी नेशनल आर्मी (केएनए) और यूनाइटेड नेशनल कुकी आर्मी (यूएनकेए) शामिल हैं.
सुरक्षा बलों ने मणिपुर के विभिन्न जिलों में अभियान के दौरान कम से कम 15 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) और एचके राइफल, इंसास राइफल और एके-सीरीज राइफल जैसे अत्याधुनिक स्वचालित हथियारों सहित हथियारों और विस्फोटकों का एक बड़ा जखीरा भी जब्त किया है.
इसके अलावा, शुक्रवार को भोर से पहले एक अभियान में, काकचिंग जिले में 10 से अधिक ग्रामीण स्वयंसेवकों को गिरफ्तार किया गया. अभियान में शामिल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि, 'वास्तविक समय की खुफिया सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई.
वहीं उन्होंने यह भी कहा कि विद्रोही समूह फिर से संगठित होने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई ने कई स्थानों पर उनके नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है. कहा यह भी गया है कि आने वाले दिनों में और भी अभियान चलाए जाएंगे.'
आखिर क्या रहा कार्रवाई का घटनाक्रम
15 फरवरी: सुरक्षा बलों ने टेंग्नौपाल जिले में एक उग्रवादी ठिकाने का पता लगाकर एक बड़ी सफलता हासिल की, जिसके बाद स्वचालित हथियारों और आईईडी का एक बड़ा जखीरा जब्त किया गया. खुफिया सूत्रों ने आरोप लगाया कि उग्रवादी प्रमुख स्थानों पर समन्वित हमलों की योजना बना रहे थे.
16 फरवरी: इंफाल पूर्व, चुराचांदपुर और काकचिंग जिलों में समन्वित छापों की एक श्रृंखला में, सुरक्षा बलों ने गिरफ्तारियों की पहली लहर चलाई, हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान पीएलए और पीआरईपीएके संगठनों के सदस्यों के रूप में की गई.
17 फरवरी: उग्रवाद की स्थिति का आकलन करने और राष्ट्रपति शासन के तहत आगे के अभियानों की रणनीति बनाने के लिए राज्य पुलिस, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और खुफिया एजेंसियों के बीच एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई गई.
18 फरवरी: अधिकारियों के अनुसार, ताजा खुफिया रिपोर्टों ने दूरदराज और सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि की पुष्टि की, जिसके कारण अतिरिक्त बलों की त्वरित तैनाती की गई.
19-20 फरवरी: कई जिलों में सुरक्षा अभियान तेज हो गए, जिसके परिणामस्वरूप घाटी-आधारित और पहाड़ी-आधारित विद्रोही समूहों से गिरफ्तारियों की एक और लहर आई. कई स्थानों से अतिरिक्त हथियार और विस्फोटक जब्त किए गए, जिससे समन्वित आतंकवादी पुनरुत्थान की चिंताओं को बल मिला.
बढ़ाई गईसुरक्षा, सतर्कता में हुई वृद्धि
राष्ट्रपति शासन लागू होने के साथ ही, केंद्र सरकार ने मणिपुर में सुरक्षा अभियानों का सीधा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है, जिससे अर्धसैनिक बलों की त्वरित तैनाती और खुफिया जानकारी के आधार पर उग्रवाद विरोधी उपाय किए जा सकेंगे.
उग्रवाद-ग्रस्त क्षेत्रों में सख्त कर्फ्यू लागू किया गया है, साथ ही रात के समय तलाशी अभियान भी तेज कर दिए गए हैं.सशस्त्र उग्रवादियों की आवाजाही को रोकने के लिए राजमार्गों और प्रमुख पारगमन मार्गों पर सुरक्षा चौकियां स्थापित की गई हैं.
जगह-जगह हो रहे हैं व्यापक विरोध प्रदर्शन
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शुक्रवार को मणिपुर की इंफाल घाटी में विरोध प्रदर्शन हुए, प्रदर्शनकारियों ने काकचिंग जिले में गांव के स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए सड़कों पर टायर जलाए.
गिरफ्तारियां राज्यपाल अजय कुमार भल्ला द्वारा विद्रोहियों और हथियारबंद निवासियों से सात दिनों के भीतर लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से सौंपने के एक दिन बाद हुईं, उन्होंने समय सीमा समाप्त होने के बाद 'सख्त कार्रवाई' की चेतावनी दी.
बताया जा रहा है कि सरकारी फरमान के खिलाफ इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल और काकचिंग जिलों में प्रदर्शन हुए. सूत्रों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने इंफाल के वांगखेई, उरीपोक, थांगमेइबंद और खुरई इलाकों में सड़क किनारे की दुकानों और बाजारों को भी बंद करवा दिया.
गौरतलब है कि मई 2023 में शुरू हुई मैतेई समुदाय और कुकी-ज़ो आदिवासी समूहों के बीच जातीय हिंसा ने राज्य में 220 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली है. आज जबकि इस हिंसा को एक लंबा वक़्त गुजर चुका है, कई इलाकों में अशांति बनी हुई है. शांति बहाल करने के लिए चल रहे प्रयासों के बावजूद, गहरे जातीय विभाजन सुलह में बाधा बन रहे हैं.
बहरहाल हिंसा भड़कने के करीब दो साल बाद, मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इस्तीफ़ा दे दिया हो और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो. बावजूद इसके मैतेई समुदाय और कुकी-ज़ो आदिवासी समूहों के बीच स्थिति जस की तस है. माना जा रहा है कि हिंसा के चलते जो खाई दोनों समुदायों के बीच आई है उसे पाटने में अभी लंबा वक़्त लगेगा.
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Manipur में President's Rule के पहले सप्ताह में हुआ कुछ ऐसा, उग्रवादी भी रह गए भौचक्के...