डीएनए हिंदीः वित्तीय वर्ष 2021-22 और असेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न जमा (ITR Filing) करने की लास्ट ड्यू डेट को दो हफ्तों से ज्यादा बीत चुके हैं. 31 जुलाई तक लगभग 5.83 करोड़ आईटीआर दाखिल किए गए हैं. हालांकि, ऐसी संभावना है कि भले ही आपने अपना आईटीआर समय पर दाखिल किया हो, फिर भी आप पर 5,000 रुपये का जुर्माना लग सकता है. यदि आप अपने आईटीआर को दी गई डेडलाइन के भीतर दाखिल करने के बावजूद वेरिफाई (ITR Verification) करने में विफल रहे हैं, तो आपका रिटर्न खारिज कर दिया जाएगा और इसलिए देर से रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना लगाया जाएगा. आयकर विभाग टैक्सपेयर्स को एक बार दाखिल किए गए अपने आईटीआर को हमेशा वेरिफाई करने के लिए मार्गदर्शन करता रहा है, जो रिटर्न दाखिल करने का अंतिम प्रोसेस है.
अपनी वेबसाइट पर, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कहता है कि रिटर्न दाखिल करने की प्रोसेस को पूरा करने के लिए आपको अपने आयकर रिटर्न को वेरिफाई करने की जरुरत है. निर्धारित समय के भीतर वेरिफिकेशन के बिना आईटीआर को अमान्य माना जाता है. अपने आईटीआर को सत्यापित करने के लिए ई-वेरिफिकेशन सबसे सुविधाजनक और त्वरित तरीका है.
आईटी विभाग ने आगे कहा है कि यदि आप समय पर वेरिफिकेशन नहीं करते हैं तो तो आपका रिटर्न दाखिल नहीं माना जाएगा है और यह आयकर अधिनियम, 1961 के तहत आईटीआर दाखिल नहीं करने के सभी परिणामों को भुगतना होगा. विभाग के अनुसार, हालांकि, आप उचित कारण बताते हुए वेरिफिकेशन में देरी के लिए क्षमा का अनुरोध कर सकते हैं. इस तरह के अनुरोध को जमा करने के बाद ही आप अपने रिटर्न को ई-वेरिफाई कर पाएंगे.
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हालांकि, रिटर्न को तभी वैध माना जाएगा जब सक्षम आयकर प्राधिकरण द्वारा क्षमा अनुरोध को मंजूरी दे दी गई हो. सीधे शब्दों में कहें तो 31 जुलाई के बाद आपके आईटीआर को वेरिफाई करने में लगने वाला समय आपको पेनल्टी कैटेगरी में डाल देगा. डिपार्टमेंट की ओर से दिए गए सुझाव अनुसार जैसे ही आप नोटिस करते हैं कि आपने अपने रिटर्न का वेरिफिकेशन नहीं किया है, एक क्षमा अनुरोध दर्ज करें.
1 अगस्त, 2022 से, सीबीडीटी ने आईटीआर को इलेक्ट्रॉनिक रूप से वेरिफिकेशन करने की डेडलाइन को उनके पिछले 120 दिनों से घटाकर 30 दिन कर दिया है. साथ ही, जिस तारीख को कोई टैक्सपेयर अपने आईटीआर को ई-वेरिफाई करेगा - उसे आईटीआर दाखिल करने की तारीख माना जाएगा. हालांकि, यह ई-वेरिफिकेशन आईटीआर-वी फॉर्म भरने वाले टैक्सपेयर्स पर लागू होता है.
विशेष रूप से, 31 जुलाई की नियत तारीख के बाद, आईटी अधिनियम की धारा 234एफ के तहत टैक्सपेयर्स पर लेट फाइलिंग शुल्क लागू होगा. इस धारा के तहत, आकलन वर्ष के 31 दिसंबर को या उससे पहले रिटर्न प्रस्तुत करने पर 5,000 का जुर्माना लगाया जाता है. जबकि किसी अन्य मामले में जुर्माना 10,000 रुपयेहोगा. हालांकि, अगर व्यक्ति की कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है - तो इस धारा के तहत देय शुल्क 1,000 रुपये से अधिक नहीं होगा.
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वर्तमान में, दाखिल करने के लिए सात आईटीआर फॉर्म उपलब्ध हैं, हालांकि, ये फॉर्म करदाताओं की श्रेणी और उनकी इनकम सोर्स के आधार पर अलग होते हैं. ये फॉर्म हैं आईटीआर-1, आईटीआर-2, आईटीआर-3, आईटीआर-4, आईटीआर-5, आईटीआर-6, और आईटीआर-7.
आप अपने आईटीआर को ई-वेरिफिकेशन कर सकते हैंः
- आधार के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी, या
- आपके पूर्व-मान्य बैंक अकाउंट के माध्यम से उत्पन्न ईवीसी, या
- आपके पूर्व-मान्य डीमैट अकाउंट के माध्यम से उत्पन्न ईवीसी, या
- एटीएम के माध्यम से ईवीसी (ऑफलाइन विधि), या
- नेट बैंकिंग, या
- डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी).
यह जानने के लिए कि क्या आपका ई-वेरिफिकेशन पूरा हो गया है, आपको अपनी ट्रांजेक्शन आईडी के साथ एक सफल संदेश प्राप्त होगा. साथ ही, ई-फाइलिंग पोर्टल के साथ आपके रजिस्टर्ड ईमेल आईडी पर एक ईमेल भेजा जाएगा.
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समय पर ITR Filing करने के बाद भी लग सकता है 5 हजार रुपये का Fine, जानिये कैसे