डीएनए हिंदी: न्यूयॉर्क में चिकित्सकों ने एक इंसानी शरीर में सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट की है. यह किडनी मरीज के शरीर में ठीक तरह से काम भी कर रही थी. सुअर में पहले वैज्ञानिकों ने अनुवांशिक तौर पर कुछ बदलाव किए थे. अगर यह प्रत्यर्पण सफल रहता है तो भविष्य में किडनी मरीजों की जान बड़े स्तर पर बचाई जा सकेगी और कई गंभीर रूप से बीमार लोगों को मदद मिलेगी.

चिकित्सकों ने एक ब्रेन डेड मरीज के ऊपर यह प्रयोग किया था. प्रत्यर्पण के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक और चिकित्सकों का कहना है कि इसे एक मील के पत्थर के तौर पर देखा जा सकता है. मानव अंगों के प्रत्यर्पण की दिशा में यह एक चमत्कार साबित हो सकता है.

जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ मेडिसिन में ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रोफेसर डॉक्टर डोरी सेगेव ने कहा है- 'हमें प्रत्यर्पित अंग (सुअर की किडनी) की लंबी उम्र के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल करने की जरूरत है. यह एक बड़ी सफलता है और बड़ी बात है.' हालांकि डॉक्टर डोरी सेगेव इस रिसर्च टीम का हिस्सा नहीं थे.

सुअर के अंगों पर चल रहे हैं कई शोध

एक अरसे से शोधकर्ता और वैज्ञानिक मनुष्यों में अंग प्रत्यर्पण के लिए सुअर के अंगों के इस्तेमाल करने की मांग उठाते रहे हैं. ऐसे सुअर की प्रजाति को अनुवांशिक तौर पर विकसित किया जाता है. संभावना है कि अंग प्रत्यर्पण के क्षेत्र में होने वाले अध्ययनों में दिल  फेफड़े और यकृत के प्रयोग का भी परीक्षण किया जा सकता है.

अंग प्रत्यर्पण के क्षेत्र में खुला संभावनाओं का द्वार

अमेरिका में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि अगर ऐसे प्रत्यर्पण सफल होते हैं तो अंगदान की उम्मीद में बैठे 1,00,000 से अधिक मरीजों को एक लाइफ लाइन मिल जाएगी. इन मरीजों में 90 240 मरीज ऐसे हैं जिन्हें अर्जेंट किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है. अमेरिका में हर दिन 12 लोगों की मौत  किडनी फेल होने से हो जाती है.

अमेरिका में किडनी के मरीजों की संख्या लाखों में है. बड़ी संख्या में मरीज किडनी फेल्योर की समस्या से गुजर रहे हैं. अमेरिका में जिंदगी बचाने के लिए करीब 5 लाख लोग डायलिसिस के दर्दनाक ट्रीटमेंट पर निर्भर हैं. बड़े स्तर पर मानव अंगों की कमी होने की वजह से इन सबका का किडनी ट्रांसप्लांट सक्षम नहीं है. प्रत्यर्पण भी चिकित्सीय परिस्थियों पर निर्भर करता है.

कहां हुई सर्जरी?

एनवाईयू लैंगोन हेल्थ की ओर से सर्जरी की गई जिसे पहली बार यूएसए टुडे ने 19 अक्टूबर 2021 ने प्रकाशित किया था. हालांकि इस रिसर्च को किसी मेडिकल जर्नल में नहीं प्रकाशित किया गया था. जिस सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी उसकी जेनेटिकल इंजीनियरिंग की गई थी जिससे मानव शरीर उस अंग को अस्वीकार न करे. एक ब्रेन डेड (दिमागी तौर पर मृत) इंसान के शरीर में सुअर की किडनी का प्रत्यर्पण किया गया लेकिन पूरे ऑपरेशन प्रक्रिया के दौरान डॉक्टरों ने बेहद सतर्कता बरती. शख्स को वेंटिलेटर पर भी रखा गया था.

एनवाईयू लैंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ रॉबर्ट मोंटगोमरी ने ऑपरेशन सफल होने के बाद कहा कि पेट के बाहर 'अपर लेग' में रक्त वाहिकाओं ( Blood Vessels) से जुड़ी किडनी ने सामान्य रूप से काम करना शुरू कर दिया जिससे मूत्र और अपशिष्ट उत्पाद 'क्रिएटिनिन' तत्काल बनने शुरू हो गए थे.

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When surgeons attached a pig kidney to a human and it worked
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...जब न्यूयॉर्क में सर्जनों ने इंसानी शरीर में लगाई सुअर की किडनी
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ऑपरेशन करते सर्जन (तस्वीर- रॉयटर्स)
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