US Tariff War Updates: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद फिर से दुनिया में टैरिफ वार छिड़ गई है. ट्रंप ने अपनी 'यूएस फर्स्ट' नीति के कारण दूसरे देशों पर बराबर टैरिफ लगाने का ऐलान किया. ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने के बाद अब भारत पर भी रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है, जो 2 अप्रैल से लागू होगा. ट्रंप के इस एकतरफा कदम का विरोध भी शुरू हो गया है. खासतौर पर चीन और कनाडा ने इसका मुखर विरोध किया है, जबकि भारत की तरफ से भी इस मुद्दे पर बात करने के लिए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका पहुंचे हुए हैं. अमेरिका की इस टैरिफ वार के बीच अब दूसरे देशों ने इसके खिलाफ एकजुट होना शुरू कर दिया है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को भारत को इस मामले में साथ आने का ऑफर दिया है. नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की मीटिंग को संबोधित करने के बाद वांग ने कहा,'ड्रैगन और एलिफेंट का एकसाथ डांस ही इस मामले में इकलौता सही विकल्प है.' बता दें कि ड्रैगन चीन का सिंबल है, जबकि एलिफेंट को भारत के लिए उपयोग किया जाता है.
अमेरिका के चीन पर टैरिफ लगाने के बाद आया ऑफर
चीन की तरफ से भारत के लिए यह ऑफर उस समय आया है, जब अमेरिका ने चीनी इंपोर्ट पर टैरिफ को दोगुना करते हुए 20% कर दिया है. इससे अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को इसे पॉवर पॉलीटिक्स और हैगमॉनिज्म बताते हुए नई दिल्ली और बीजिंग से इसके खिलाफ अभियान का मिलकर नेतृत्व करने की अपील की. वांग ने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस मीटिंग के बाद कहा,'हमें एक-दूसरे को नीचा दिखाने के बजाय आपसी साथ को मजबूती और सहयोग देना चाहिए. एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चाबंदी करने के बजाय हमारे मूल हितों का ध्यान रखना चाहिए.
क्यों अहम होगा चीन और भारत का एकसाथ आना
भारत और चीन यदि वांग यी के कहे अनुसार इस मुद्दे पर एकसाथ खड़े होते हैं तो ट्रंप की नीति अमेरिका के लिए उल्टी मुश्किल पैदा करेगी. चीन और भारत एशिया की दो सबसे बड़ी इकोनॉमी में से ही नहीं वैश्विक रूप से भी टॉप-5 इकोनॉमी में शामिल हैं. ऐसे में उनका एकसाथ खड़े होकर अमेरिका के कदम का विरोध करना बेहद अहम साबित हो सकता है. वांग यी ने भी इसी आधार पर चीन और भारत के साझा 'ड्रैगन-एलिफेंट डांस' की बात कही है. वांग यी ने कहा कि यदि एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आपस में मिल जाएं तो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का लोकतंत्रीकरण होने के साथ ही 'ग्लोबल साउथ' का विकास और सुदृढ़ीकरण एक उज्जवल भविष्य पेश करेगा.'
भारत ने नहीं दी है अब तक इस पर प्रतिक्रिया
चीन के प्रस्ताव पर भारत ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को इस बारे में थोड़ा इशारा कर चुके हैं. जयशंकर ने कहा था कि भारत सरकार चीन के साथ मिलकर संबंधों का ज्यादा प्रत्याशित और पॉजिटिव रास्ता तैयार करने पर काम कर रही है. इनमें चीन के कंट्रोल वाले भारतीय तीर्थस्थलों की यात्रा फिर से शुरू करना, आपसी सीधी उड़ानें और पत्रकारों का आवागमन शामिल होगा.
ट्रंप की टैरिफ वार में चीन-भारत साथ आए तो भुगतेंगे अमेरिकी नागरिक?
ट्रंप की टैरिफ वार के चलते यदि भारत-चीन सामने आए तो अमेरिकी नागरिकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी नागरिकों को इसका लाभ होने के बजाय उन्हें उल्टा ज्यादा महंगाई का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल ऐसी संभावना है कि भारत और चीन की कंपनियां अपने ऊपर बढ़े हुए टैरिफ की भरपाई अपनी कीमतों में बढ़ोतरी करके वसूलने की कोशिश करेंगी. ऐसा हुआ तो जो वस्तु फिलहाल अमेरिकी नागरिकों को 1 रुपये में मिल रही है, वहीं वस्तु 2 रुपये या इससे भी ज्यादा में मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.
भारत का यूएस से इंपोर्ट कम और एक्सपोर्ट है ज्यादा
साल 2024 में भारत और अमेरिका के बीच कुल 129.2 अरब डॉलर के आपसी कारोबार में भारत ने 87.4 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया और 41.8 अरब डॉलर का इंपोर्ट किया था. भारत अमेरिका से आने वाली वस्तुओं के विकल्प दूसरे देशों में तलाशकर ज्यादा टैरिफ देने से बच सकता है. इसके उलट भारत से अमेरिका एक्सपोर्ट होने वाली बहुत सारी चीजें ऐसी हैं, जिनका विकल्प अमेरिका के लिए मिलना मुश्किल है. ऐसे में अमेरिकी कंपनियों को वहीं वस्तुएं भारत से ज्यादा दाम में इंपोर्ट करनी होंगी, जिसका असर वहां उन वस्तुओं के दामों पर दिखाई देगा.
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Tariff War के बीच भारत को China का साथ आने के लिए ऑफर, क्या दे पाएंगे Donald Trump को चुनौती?