US Tariff Rate: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में उनकी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती के जमकर चर्चे रहे थे. साल 2019 में जहां ट्रंप भारत में मोदी के लिए खास कार्यक्रम करने पहुंचे थे, वहीं पीएम मोदी भी उनके चुनाव प्रचार से जुड़े 'हाउडी मोदी' प्रोग्राम में शामिल हुए थे. अब ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद यह दोस्ती फिर से चर्चा में है, क्योंकि अमेरिका ने भारत के प्रति खास तवज्जो दिखाई है. अब इंपोर्ट-एक्सपोर्ट टैरिफ रेट को लेकर चल रहे विवाद में भी यह दोस्ती फिर से चर्चा में आ गई है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एकतरफ चीन, मेक्सिको और कनाडा पर भारी टैरिफ लगाया है, वहीं भारत का ये नए टैरिफ रेट घोषित करते समय नाम तक नहीं लिया है. ऐसा तब हुआ है, जब ट्रंप राष्ट्रपति पद पर शपथ ग्रहण करने से पहले ही टैरिफ रेट का जिक्र करते समय चीन के साथ भारत का भी बार-बार नाम लेते रहे हैं.
व्यापार घाटे का हवाला देकर बढ़ाया टैरिफ रेट
ट्रंप ने व्यापार घाटे का हवाला देते हुए चीन, मेक्सिको और कनाडा पर टैरिफ रेट में भारी बढ़ोतरी की है. मेक्सिको-कनाडा पर 25-25 फीसदी जबकि चीन पर 10 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये तीनों देश अमेरिका के व्यापार घाटे में सबसे ऊपर हैं. अमेरिकी व्यापार घाटे में चीन का 30.2 फीसदी, कनाडा का 14 फीसदी और मेक्सिको का 19 फीसदी योगदान है. इसके उलट भारत का अमेरिकी व्यापार घाटे में महज 3.2 फीसदी ही योगदान है और वह इसमें 9वें नंबर पर है. ट्रंप के टैरिफ रेट बढ़ाने पर चीन, मेक्सिको और कनाडा भड़के हुए हैं. चीन ने तो अमेरिका को इसका नुकसान उठाने की चेतावनी भी दे दी है.
ट्रंप ने भारत की की थी तारीफ
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने प्रेस ब्रीफिंग में टैरिफ रेट्स को लेकर भारत की तारीफ की थी. ट्रंप ने कहा था कि भारत की आयात शुल्क नीति एडवांस हुई है, जिसमें घरेलू और वैश्विक आर्थिक हालातों का आवश्यकता के हिसाब से एकीकरण करते हुए उसे संतुलित बनाया गया है. ट्रंप ने भारत की टैरि पॉलिसीज को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुरूप बनाने की भी कोशिश की है. ट्रंप ने इस दौरान कनाडा के साथ व्यापार में अमेरिका को 200 अरब डॉलर और मेक्सिको के साथ 250 अरब डॉलर का घाटा होने की बात भी मीडिया को बताई थी.
चीन को होगा अमेरिकी नीति से भारी नुकसान
पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स ने 17 जनवरी को रिपोर्ट में अमेरिका के चीन पर लगाए 10 फीसदी टैरिफ और उसका चीन की तरफ से जवाब देने का आकलन किया था. इस आकलन में सामने आया था कि इससे चीन को जहां 128 अरब डॉलर का नुकसान होगा, वहीं अमेरिका की जीडीपी में भी 4 साल में 55 अरब डॉलर की कमी आएगी. रिपोर्ट में इसके चलते अमेरिका और चीन, दोनों में मुद्रास्फीति बढ़ने की भी चेतावनी दी गई थी.
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मोदी से दोस्ती या कुछ और? चीन-कनाडा से टैरिफ रेट पर भिड़े ट्रंप भारत पर खामोश