डीएनए हिंदी: अंतरिक्ष के दो बड़े सौर तूफानों का खतरा धरती पर मंडरा रहा है. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि दो बड़े सौर तूफान शुक्रवार को शाम 5:30 बजे के आसपास धरती पर असर डालेंगे. प्रभावित जगहों पर आवेशित कण धरती के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं.
प्रभावित जगहों पर आसमान में इसकी वजह से दुर्लभ नजारे देखने को मिल सकते हैं. आसमान में रंगबिरंगी आकृतियां बन सकती हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे नजारे उच्च अक्षांशों में नजर आएंगे.
आयनित कणों का असर उपग्रहों पर पड़ सकता है. यह ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम को प्रभावित कर सकता है. कुछ जगहों पर इसकी वजह से बिजली और कम्युनिकेशन के बुनियादी ढांचे प्रभावित हो सकते हैं.
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हमारा सूर्य 4 जुलाई, अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस को अपने तरीके से बनाता है. दो सौर तूफान इस दिन टकराने वाले हैं. अंतरिक्ष मौसम भौतिक वैज्ञानिक तमिथा स्कोव ने यह ट्वीट किया है. ये तूफान धरती की ओर आने के लिए अपने रास्ते पर हैं. पहला तूफान हमें 1 से दो झटके दे सकता है. दूसरा तूफान 7 जुलाई तक आ सकता है.
The Sun launches double punch #solarstorms on #July4th! NASA prediction shows impact before noon July 7 UTC. The first storm is slower & will go mainly northeast. The second is faster & more a direct hit. Fast solar wind follows. G1-level possible with #aurora to mid-latitudes. pic.twitter.com/HhVIsgZcDr
— Dr. Tamitha Skov (@TamithaSkov) July 5, 2023
क्या होगा असर?
तमिथा स्कोव ने सौर तूफान के लार्ज एंगल और स्पेक्ट्रोमेट्रिक कोरोनाग्राफ एक्सपेरिमेंट (LASCO) की ओर से रिकॉर्ड किए गए दोनों कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) और सूर्य के कोरोना से प्लाज्मा और मैग्नेटिक फील्ड की तस्वीरें भी शेयर की हैं.
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तमिथा स्कोव ने कहा है कि NASA ने भविष्यवाणी की है कि यह 7 जुलाई दोपहर तक प्रभाव दिखा सकता है. पहला तूफान धीमा है. यह मुख्य रूप से उत्तर-पूर्व की ओर जाएगा. दूसरा तूफान तेज और सीधा प्रभाव दिखाने वाला होगा.
क्या होता है सौर तूफान?
NASA के मुताबिक सूर्य से कई सौर पदार्थों का उत्सर्जन होता है.दोनों एक स्थिर प्रवाह में और कभी-कभी, सौर विस्फोटों की वजह से ज्यादा तेजी से प्रवाहित होने लगते हैं, यह तूफान जैसा दिखने लगता है. इस अवधि के दौरान, आवेशित कणों का एक समूह, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन कहते हैं, सूर्य से कई घंटों तक उत्सर्जित होता है. इसकी वजह से तीव्र चुंबकीय क्षेत्र बनते है. यह तेज प्रवाह का रूप अख्तियार कर लेता है.
सौर तूफानों का प्रभाव क्या होता है?
जब यह सौर तूफान पृथ्वी के चुंबकीय वातावरण से टकराती हैं तो यह कभी-कभी भू-चुंबकीय तूफान पैदा करती हैं. अगर इसकी तीव्रता बढ़ जाए तो ये तूफान धरती की कई टेक्नोलॉजी को प्रभावित कर सकते हैं. हालांकि ऐसी चेतावनियां इन तूफानों के लिए नहीं जारी की गई हैं.
अब तक किन तूफानों का पड़ा है धरती पर असर?
नासा के मुताबिक साल 1989 में विनाशकारी सौर तूफान की वजह से पूरे क्यूबेक में 12 घंटे तक बिजली गुल रही. साल 1859 में कैरिंगटन इवेंट की वजह से टेलीग्राफ स्टेशनों पर आग लग गई थी. इसकी वजह से संदेश भेजने में मुश्किलें आ रही थीं. कई दिनों तक यह बाधित रहा.
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Solar Storms: धरती की ओर तेजी से बढ़ रहे सौर तूफान, मच सकती है तबाही, NASA भी अलर्ट