डीएनए हिंदी: पूरी दुनिया में इस समय रूस और युक्रेन युद्ध की चर्चा है. रूस ने यूक्रेन को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है. यूक्रेन का भी दावा है कि उसने रूस के हजारों सैनिकों को मार गिराया है और बड़ी संख्या में tanks को भी बर्बाद कर दिया है.
रूस ने यूक्रेन पर हमले को 'स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन' का नाम दिया है. रूस इस हमले का मकसद यूक्रेन का 'डिमिलिटराइजेशन और डिनाजिफिकेशन' बता रहा है. रूस के अनुसार, यूक्रेन पर आक्रमण का लक्ष्य "उन लोगों की रक्षा करना है जो आठ वर्षों से कीव में शासन द्वारा दुर्व्यवहार और नरसंहार के अधीन हैं."
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यूक्रेन के साथ युद्ध की घोषणा के दौरान पुतिन ने कहा कि हमारी योजनाओं में यूक्रेनी क्षेत्रों पर कब्जा शामिल नहीं है. हम जबरदस्ती किसी पर कुछ थोपने नहीं जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आज जो हो रहा है वह यूक्रेन और यूक्रेनी लोगों के हितों का उल्लंघन करने की इच्छा से नहीं किया जा रहा है. यह रूस की सुरक्षा से जुड़ा है. कुछ देशों ने यूक्रेन को बंधक बना लिया है और वो इसका प्रयोग हमारे देश और लोगों को खिलाफ करने की कोशिश कर रहे हैं.
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हालांकि रूस द्वारा यूक्रेन में चलाया जा रहे सैन्य अभियान पुतिन के बयान से पूरी तरह से उलट है. दरअसल यह रूसी सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक सदियों पुरानी रणनीति (Russian Military Deception Tactic) है, जिसका नाम "मास्किरोव्का" (Maskirovka) है.
मस्किरोव्का सदियों से रूसी सैन्य शस्त्रागार..
सूचना युद्ध और साइबर सुरक्षा मामलों के एक्सपर्ट IPS अधिकारी बृजेश सिंह के अनुसार, "मस्किरोव्का" को इसके शाब्दिक अंग्रेजी अनुवाद से बेहतर ढंग से समझा जा सकता है. इसका अर्थ है "किसी चीज पर मुखौटा लगाना." उनके द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, मस्किरोव्का सदियों से रूसी सैन्य शस्त्रागार का हिस्सा रहा है.
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उनके अनुसार, "इसमें दुश्मन को गुमराह करने के लिए डमी, कपट, इनकार, दुष्प्रचार और धोखे का इस्तेमाल शामिल है. यह कम्युनिस्ट युग से पहले भी सदियों से रूसी खुफिया व्यापार का हिस्सा रहा है. यह वास्तव में जार निकोलस द्वितीय द्वारा स्थापित सैन्य स्कूल में पढ़ाया जाता था.
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आपको बता दें कि न सिर्फ रूस बल्कि वर्तमान में दुनियाभर की खुफिया एजेंसियां अपने असल इरादे छिपाने के लिए इस तरह की रणनीति का प्रयोग करती हैं. बृजेश सिंह के अनुसार, "ऐसा नहीं है कि केवल रूसी ही इसका उपयोग कर रहे हैं, दुनिया भर की खुफिया एजेंसियां दुश्मन पर अपनी इच्छा को थोपने के लिए मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन चलाती हैं."
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लेकिन रणनीति में रूस की ताकत अलग है.
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बृजेश सिंह विस्तार से बताते हुए कहते हैं, "हालांकि, रूसी रणनीतिक मास्किरोव्का की अवधारणा न सिर्फ दुश्मन की निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है बल्कि वहां से वांछित परिणाम की तरफ बढ़ने का भी प्रयास करती है. 'रिफ्लेक्सिव कंट्रोल' के सिद्धांत का उपयोग करके दुश्मन के निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित किया जाता है और ऐसे निर्णय करवाए जाते हैं जो पहले से निर्धारित किए गए हों. इस तरह के 'सूचना टकराव' का उपयोग वैश्विक जनमत को जीतने के लिए किया जाता है और रणनीतिक तरीके से भ्रमित करके घरेलू आबादी को भी भड़काया जाता है."
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