डीएनए हिंदी: कड़ाके की सर्दी अफगान नागरिकों के लिए नई चुनौतियां लेकर आई है. यहां कई परिवारों का जीवन बद से बदतर होता जा रहा है.

अफगानिस्तान के बामियान में रहने वाली विधवा कुबरा ने इस बारे में बात करते हुए देशवासियों के सामने आ रही परेशानियों के बारे में बताया. इस साल अगस्त में तालिबान के काबुल की ओर बढ़ने के बाद अराजकता के बीच जब वे अपने घर से भाग गए थे, तब उनकी सारी जलाने लायक लकड़ी चोरी हो गई थी जबकि महीनों पहले उसने जो आटा खरीदा था, वह कुछ दिनों में खत्म होने वाला है.

कुबरा का कहना है कि उसे नहीं पता कि सर्द मौसम में अपने कमरे को गर्म करने के लिए ईंधन कैसे मिलेगा और उसे अपने और अपने पोते-पोतियों के लिए आने वाले दिनों में भोजन कहां से मिलेगा.

57 वर्षीय कुबरा ने कहा, 'हमें पिछले वसंत में दो बोरी आटा मिला था जिसका हम अभी भी उपयोग कर रहे हैं. उसके बाद, हमें विश्वास करना होगा कि ईश्वर हमारी मदद करेंगे.'

कुबरा का कहना है कि वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि आने वाले दिनों में कोई भी उन्हें या उनके परिवार को रोटी का एक टुकड़ा नहीं देगा, क्योंकि भोजन और पानी की कमी ने हर दूसरे घर को ईश्वर की दया पर छोड़ दिया है.

कुबरा की भीषण स्थिति बामियान और देश के बाकी हिस्सों में हर दूसरे घर की तरह ही है, क्योंकि पैसों की कमी ने स्थानीय लोगों की दिनचर्या को मुश्किल बना दिया है.

अफगानिस्तान पर तालिबान के अधिग्रहण के परिणामस्वरूप सभी विदेशी सहायता जब्त कर ली गई है जो देश की अर्थव्यवस्था का 80 प्रतिशत से अधिक रहती थी.

नए तालिबान शासन पर भरोसा करने के बारे में अमेरिका और वैश्विक समुदाय की अनिश्चितता और तालिबान के विभिन्न शीर्ष नेताओं पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के साथ, देश के लिए विदेशी सहायता प्रतिबंधित है, जिससे पानी और भोजन का बड़ा संकट पैदा हो गया है.

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुमान के अनुसार, लगभग 2.3 करोड़ अफगानों को अत्यधिक भूख का सामना करना पड़ रहा है, लगभग 90 लाख लोगों को भुखमरी का खतरा है, क्योंकि सर्दी ने जोर पकड़ लिया है.

कुबरा अपने एक कमरे वाले घर में रहती हैं जो पूरे परिवार के लिए काफी छोटा है. अपनी पीड़ा बताते हुए उन्होंने कहा, मेरा बेटा स्क्रैप मैटल के टुकड़े इकट्ठा करता था लेकिन अभी उसके पास कोई काम नहीं है.

चार बच्चों की 26 वर्षीय मां मासौमा का जीवन हमेशा कठिन रहा है और उसके पास खाना बनाने और खाने का कोई विकल्प नहीं है. वह अपने परिवार को कुकिग ऑयल के साथ हर दिन पके चावल खिलाती थी लेकिन अब वही खाना हफ्ते में एक बार ही बनता है.

उन्होंने कहा, हम कभी भी विभिन्न प्रकार के भोजन नहीं करते थे लेकिन पहले फिर भी ठीक था क्योंकि हमारे पास कम से कम चावल और खाना पकाने का तेल तो था. हम दिन में एक बार खाना बनाते थे और यह अच्छा था. अब, यह सप्ताह में एक बार होता है और कभी-कभी तो खाने को एक निवाला तक नसीब नहीं होता है.

तालिबान का कहना है कि वे मौजूदा संकट से अच्छी तरह वाकिफ हैं, जिसका लोग सामना कर रहे हैं. उनके नेताओं का कहना है कि यह मौजूदा संकट आंशिक रूप से अशरफ गनी के तहत पिछली सरकार के कम से कम चार दशकों के युद्ध, कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के नकारात्मक प्रभाव से सामने आया है.

(इनपुट- आईएएनएस)

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People are craving bread for June 2 in Afghanistan
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Afghanistan: दो वक्त की रोटी पर भी आफत
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Afghanistan: दो वक्त की रोटी पर भी आफत
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