डीएनए हिंदी: आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी कि नमाज़ बख्शवाने गए थे रोज़े गले पड़ गए. यह कहावत कहीं न कहीं पाकिस्तान (Pakistan) में सही साबित हो रही है. पाकिस्तान में लोग गैस की किल्लत से काफी परेशान हैं और वो भी तब जब रमज़ान का महीना चल रहा है. घर की महिलाओं को गैस की कमी के चलते सहरी और इफ्तारी का खाना बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओं का कहना है कि Sui Southern Gas Company (SSGC) उनकी इस दुर्दशा से बेखबर है और ना कोई सुध लेने वाला है.
कराची शहर को प्रतिदिन 600 million cubic feet गैस की ज़रूरत पड़ती है जबकि SSGC अधिकारी के अनुसार इस वक़्त 570 million cubic feet की ही सप्लाई हो रही है. एक स्कूल में पढ़ाने वाली अध्यापिका ने बताया की रमज़ान के पहले दिन मुझे अपने शोहर को रात के ३:३०बजे ब्रेड लाने के लिए भेजना पड़ा क्योंकि चूल्हे में गैस ही नहीं थी और सहरी नहीं बना पाई.
इसके साथ ही उन्होंने बताया की पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है और पिछले कई सालों से बाजार से इफ्तार का सामान नहीं खरीद पा रही हैं. आज छठा रमज़ान का दिन है और पकिस्तान में चीज़ें बद से बदतर हो चुकी हैं. शाम के 5 बजे से मुश्किल से थोड़ी बहुत गैस रहती है और लोगों को मज़बूरन बाजार से महंगे सामान खरीदने पड़ रहे हैं. बढ़िया खाना तो दूर थोड़ा बहुत भी इंतज़ाम करना मुश्किल हो जाता है और लोगों का बजट पूरी तरह से बिगड़ चुका है जबकि कई घरों में कमाने वाले दो ही क्यों न हों लेकिन उन्हें महंगाई की बुरी मार पड़ रही है.
वहीं जावेद अख्तर नाम के एक शख्स ने बताया कि पिछले 2 साल में गैस प्रेशर इतना ही बिगड़ चुका हैं कि सर्दियों में मुश्किल से थोड़ा बहुत गैस ही मिल पाया था. बीच में हफ्ते में दो दिन रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक ही गैस कि सप्लाई ठीक थी जिसमें खाना पकाया जा सकता था. मेरी पत्नी और घर कि बाकी महिलाएं रात के 12 बजे रमजान शुरु होने से पहले खाना पकाना शुरू करती थी.
इसके अलावा एक नाज़िया नाम की महिला ने बताया कि उन्होंने कई बार SSGC में शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कि हमारे परिवार में 8 लोग हैं जिनमें से हम दो लोग फुल टाइम काम करते हैं लेकिन पहले रोज़े से ही हमें चपाती आर्डर करनी पड़ रही हैं और अगर हर सदस्य के लिए 2 रोटी भी आर्डर करती हूं तो 16 रोटियों के 240 रूपए देने पड़ते हैं और अगर इसे 28 दिन से गुना करें तो 6,910 रूपए खर्च होते हैं. हम लोग जैसे-तैसे मैनेज कर रहे हैं और चाहते हैं इस समस्या का हल जल्द से जल्द हो.
गौरतलब है कि पाकिस्तान के हालत इतने बुरे हो चुके हैं कि कुछ लोग तो इलेक्ट्रिक स्टोव भी लेने कि सोच रहे थे लेकिन बाद में रुक गए क्योंकि इससे उनके बिजली का बिल भी बढ़ जाएगा. इस मामले में SSGC सूत्रों पता चला है कि शहर कि अंदरूनी हिस्सों में यह दिक्कत आ रही हैं जिसके चलते इफ्तारी और सहरी के दौरान गैस का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा होता है और इसी वजह से गैस प्रेशर कम हो जाता हैं.
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ऐसे में कहना भी लाज़मी होगा कि पाकिस्तान इस वक़्त एक बुरे दौर से गुज़र रहा हैं क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी भी दांव पे लगी है और पाकिस्तान की जनता का उनके खिलाफ गुस्सा होने की वजह महंगाई भी है.
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