डीएनए हिंदी: हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस (Navy Day) मनाया जाता है. 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' (Operation Trident) में भारतीय नौसेना की भूमिका और उसकी उपलब्धियों को याद करने के लिए नौसेना दिवस की स्थापना की गई थी. नौसेना दिवस को मनाने का यह निर्णय मई 1972 में वरिष्ठ नौसेना अधिकारी सम्मेलन में लिया गया. भारतीय नौसेना के लिए ऑपरेशन ट्राइडेंट एक यादगार युद्ध रहा लेकिन क्या आप जानते हैं भारतीय नौसेना ने ऐसे कई ऑपरेशन किए हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. ऑपरेशन तलवार (Operation Talwar) करगिल युद्ध के समय अतीत के पन्नों में गुम नौसेना का वो बड़ा ऑपरेशन है जिसने पाकिस्तानी आर्मी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. इन्हीं सवालों को लेकर डीएनए हिंदी के पत्रकार मनीष कुमार भंभानी ने ऑपरेशन तलवार का हिस्सा रहे लेफ्टिनेंट कमांडर बिजय नायर से खास बात की.
भारतीय नौसेना की ‘तलवार’ के आगे झुका पाकिस्तान!
जब कभी भी भारतीय जवानों (Indian Navy) की वीरगाथा सुनाई जाती है तो पूरे देशवासियों का सीना चौड़ा हो जाता है. भारत मां ने न जाने कितने शूरवीरों को जन्म दिया जो खुशी-खुशी मातृभूमि के लिए दुश्मनों से आखिरी सांस तक लड़े. भारतीय शूरवीरों के अदम्य शौर्य और साहस के की वजह से ही करगिल युद्ध में हमें जीत मिली. वैसे तो करगिल की अपनी ही कई कहानियां हैं लेकिन एक कहानी जो अतीत के पन्नों में धुंधली हो गई वो थी नौसेना के 'ऑपरेशन तलवार' जिसने पाकिस्तान को इतना डरा दिया कि वो विदेशी सरकारों से मदद की गुहार लगाने लगा.
साल 1999 मई की का महीना था जब करगिल युद्ध (Kargil War) शुरू हुआ द्रास सेक्टर पर अपने इलाके को कब्जे में लेने के लिए भारतीय सेनाओं (Indian Armed Forces) ने कई ऑपरेशन की शुरुआत की. इन्हीं ऑपरेशनों में से एक था इंडियन नेवी का 'ऑपरेशन तलवार'. इस ऑपरेशन तलवार ने पाकिस्तान को इतना नुकसान पहुंचाया कि पाकिस्तान डर गया और भारतीय सेनाओं के आगे अपने घुटने टेक दिए.
ऑपरेशन तलवार में आपकी भूमिका क्या रही?
लेफ्टिनेंट बिजय नायर बताते हैं कि साल 1999 में जब ये युद्ध (Kargil) शुरू हुआ तो उस समय मैं नेवी से पास-ऑउट हुआ था. हमारी शिप अटैचमेंट को एक महीने के लिए स्थगित कर दिया गया और वॉरशिप में मुझे गुजरात में एक जगह है ओखा वहां भेज दिया गया. मैं वॉरशिप पर सबसे यंग अफसर था अभी-अभी कमीशन हुआ था. जब तक हम कराची के पास नहीं पहुंचे मुझे अंदाजा भी नहीं था ये सब क्या हो रहा है लेकिन फिर हम सबको ब्रीफिंग मिली "Indian forces didn't start this war, but we will bloody hell finish it". उस समय थोड़ा डर तो लगा परिवार की याद भी आई लेकिन वॉरशिप पर इतनी सारी ड्रिल और युद्ध का महौल देखकर मुझमें जोश और बढ़ गया. उस समय 33 वॉरशिप कराची पोर्ट के सामने हमने लगा दी और कहा आ जाओ आज तुम्हारी धज्जियां उड़ा देंगे. हम तुम्हारी मौत का सामान अपने साथ लाएं हैं.
एक Kiss में कराची उड़ा देती इंडियन नेवी!
जब करगिल युद्ध चल रहा था उस समय कराची से ही पाकिस्तानियों के लिए जरुरी सामान भेजा जा रहा था जैसे राशन, हथियार, मेडिकल ऐड, तेल आदि. सबसे अच्छी बात ये रही हमने उस पोर्ट को पूरी तरह से घेर लिया उसके बाद उनके एक भी शिप बाहर नहीं निकल पाए और थोड़े दिनों में पाकिस्तानी सेना के पास लड़ने और जिंदा रहने का कोई भी सामान नहीं बचा. तब पाकिस्तान अमेरिका के पास पहुंचा कहा हमें बचा लो वरना भारतीय सेना आज पाकिस्तान को भी हमसे ले लेगी. फिर अमेरिका ने बीच में कदम रखा और शांति संदेश जैसी बातें करके समझाया कि दोनों देश न्युक्लियर पावर हैं ऐसा नहीं करना चाहिए. मैं आपको बता दूं शांति संदेश सब दिखावा था असल बात ये थी कि पाकिस्तान के पास महज 5-6 दिन का ही राशन पानी बचा था इसलिए उसने घुटने टेके. ऐसा कभी नहीं होता अगर भारतीय नेवी(Navy Day 2022) पाकिस्तान के सर पर आकर खड़ी ना होती. कराची और पाकिस्तान को हम सिर्फ एक Kiss में उड़ा सकते थे पर खैर वो परमिशन नहीं मिली लेकिन बाकि जगह हमने अपनी कुछ तोड़फोड़ जरूर की.
4 मेजर थियेटर कमांड बनाने की तैयारी में है सरकार
लेफ्टिनेंट बिजय नायर बताते हैं कि "थियेटर कमांड (theatre command ) कोई नई अवधारणा नहीं है. साल 2001 से अंडमान और निकोबार में पहले से मौजूद है इसलिए इसे नया कहना गलत होगा. अभी देश में आर्मी और एयरफोर्स दोनों के पास अलग-अगल 7 कमांड हैं और वहीं नौसेना के पास 3 कमांड हैं कुल मिलाकर देश में 17 कमांड सक्रिय हैं. अगर थिएटर कमांड बनती हैं जो इससे कई फायदे होंगे. इससे तीनों सेनाओं के बीच समन्वय अच्छे से होगा. युद्ध के मौके पर तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए ये कमांड काफी उपयोगी होगा. थिएटर कमांड की रणनीतियों के अनुसार दुश्मन पर अचूक वार करना आसान हो जाएगा है. सेनाओं को एडवांस बनाने के लिए जल्दी फैसले हो सकेंगे आदि.यही कारण है कि थलसेना, वायुसेना और नौसेना को एक साथ लाकर इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने की बात हो रही है."
"हालांकि कुछ अधिकारी इसका विरोध भी कर रहे हैं क्योंकि अभी हर कमांड का चीफ अलग होता है तो अगर थिएटर कमांड बना तो उससे उनका ओहदा थोड़ा कम जरूर हो जाएगा. खैर देखिए अभी इस कमांड को लेकर चर्चाएं जारी है जल्द ही पता चलेगा कि सेनाओं का भविष्य कैसा होगा? "
पिछले 7 दशकों में नेवी में कितना बदलाव आया?
आप बदलाव की बात कर रहें हैं तो मैं आपको बता दूं "जब आजादी के बाद भारतीय नौसेना का गठन हुआ तब से लेकर आज तक की बात करें तो इंडियन नेवी (Navy Day) काफी एडवांस हुई है. पहले हम हथियारों, ट्रेनिंग, वॉरशिप, एयरक्राफ्ट के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे. आज हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं आज हम खुद अपनी शिप बना रहे हैं. हमने खुद अपना एयरक्राफ्ट बनाया पहले ऐसे होता था कि हम विदेशों से उनके 20-25 साल तक इस्तेमाल किए हुए एयरक्राफ्ट लेते थे फिर उसको ठीक करके इस्तेमाल करते थे. आज अगर देखे तो हमने खुद का एयरक्राफ्ट बनाया. आज विदेशी नौसेना से हर कोई दोस्ती बनाने के लिए तैयार बैठा है."
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पनडुब्बी बनाने में करनी होगी मेहनत
लेफ्टिनेंट कमांडर बिजय नायर बताते हैं कि "भारतीय नौसेना के पास आज सबकुछ हैं खुदके एयरक्राफ्ट, ड्रोन टेकनोलोजी, वॉरशिप लेकिन पनडुब्बी बनाने में आज भी हमें मेहनत करनी की जरुरत है. हालांकि हमने अरिहंत पनडुब्बी को डेवेलप किया लेकिन उसका बजट बहुत ज्यादा था और उसे डेवेलप करने में बहुत समय लगा. कई देश हैं जो पनडुब्बी बनाने में हमसे आगे हैं. हमारी लड़ाई अब उन देशों से आगे निकले की है."
कौन हैं लेफ्टिनेंट कमांडर बिजय नायर ?
लेफ्टिनेंट कमांडर बिजय नायर (Lt. Cdr Bijay Nair) भारतीय नौसेना से रिटायर्ड अफसर हैं जिन्होंने 10 साल तक इंडियन नेवी में अपनी सेवाएं दी. करगिल युद्ध के समय ऑपरेशन तलवार में अहम भूमिका निभाई जिसके लिए उन्हें सेना से ऑपरेशन बिजय स्टार और बिजय मेडल से सम्मानित किया गया.
वर्तमान समय में वे आज भी नेवी से जुड़े हुए हैं और एक नेशनल बॉडी के लिए काम करते हैं. वे एक रनर और पब्लिश राइटर भी हैं साथ ही उनके जोक्स और मोटिवेशलन स्पीच के लिए वो सोशल मीडिया पर इन दिनों युवाओं की प्ररेणा भी बने हुए हैं.
लेफ्टिनेंट कमांडर बिजय नायर का पूरा इंटरव्यू सुनने के लिए यहां क्लिक करें
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