डीएनए हिंदी : Mikhail Gorbachev Death : जेम्स बांड की फिल्मों के शौक़ीन हों या अन्य अमेरिकी एक्शन फिल्मों के, अमेरिका और रूस के बीच के शीत युद्ध या कोल्ड वॉर के बारे में ज़रूर सुना होगा. दोनों देशों के बीच दशकों तनातनी का माहौल रहा और फिर आए मिखाइल गोर्बाचोफ. मिखाइल को सोवियत संघ का आख़िरी नेता कहा जाता है पर साथ ही उन्हें रूस का वह नेता होने का रूतबा भी हासिल है जिन्होंने देश के संबंध पश्चिमी दुनिया के साथ बेहतर किए. क्यूबा के पहले राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) के प्रशंसक रहे गोर्बाचोफ को 1990 में बतौर रूसी राष्ट्रपति शान्ति के अपने प्रयासों के लिए नोबेल का पीस पुरस्कार भी दिया जा चुका है. मिखाइल कौन थे और क्या रहे उनके जीवन के अलग-अलग पड़ाव, आइए जानते हैं.
Cold War ख़त्म करने वाले Mikhail Gorbachev
1931 में पैदा हुए मिखाइल गोर्बाचोफ एक आम किसान परिवार से आते थे. इस वक़्त रूस में कम्युनिस्ट नेता जोसफ स्टालिन का राज था. यूक्रेनी और रूसी जीन्स वाले मिखाइल की पढ़ाई लिखाई मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में हुई थी. 1955 में उन्होंने लॉ की डिग्री ली.
हालांकि मिखाइल गोर्बाचोफ उस दौर में बड़े हो रहे थे जब लेनिन और मार्क्स के नियमों के अनुसार देश में केवल एक पार्टी थी पर कहा जाता है कि उन्होंने पूरे सोवियत संघ और रूस को स्टालिन के प्रभावों से मुक्त करने में विशेष भूमिका निभाई. उन्होंने Nikita Khrushchev के सुधारों को लागू करने में भी अहम् भूमिका निभाई थी.
Stalin की गलतियों को सुधारने का सफ़र
गोर्बाचोफ 1985 में सोवियत संघ के नेता चुने गए.उन्होंने कम्युनिज़्म में सुधार लाते हुए Glasnost यानी खुलेपन की नींव रखी. साथ ही Perestroika अर्थात परिवर्तन की भूमिका भी बनाई.
यह परिवर्तन उनके पूरे शासनकाल में नज़र आया. वह 1989 का दौर था जब बर्लिन की कुख़्यात दीवार गिरी थी. बर्लिन की दीवार को स्टालिन की सबसे बड़ी गलतियों में एक गिना जाता है. कहा जाता है कि स्टालिन के शह पर जर्मन डेमोक्रेटिक पार्टी ने पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के लोगों को आपस में मिलने से रोकने के लिए यह दीवार बनवाई थी. मिखाइल गोर्बाचोफ के प्रयासों से ही इस दीवार का गिरना संभव हुआ था.
USSR-Afghanistan War से पीछे हटना और सोवियत संघ का विघटन
मिखाइल गोर्बाचोफ के शांतिपूर्ण प्रयासों में 1986 में अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत संघ (USSR) के सेना हटाने के फ़ैसले को भी गिना जाता है. अपने मानवीय मूल्यों के लिए बीसवीं शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण नेताओं में एक गिने जाने वाले गोर्बाचोफ ने दूरगामी फैसला लेते हुए सोवियत संघ के विघटन की मंजूरी दी थी. हालांकि कट्टरपंथियों द्वारा उनकी इस बात के लिए काफी आलोचना की जाती है कि इस कदम की वजह से रूस की आर्थिक हालत बेहद कमज़ोर हो गयी.
मिखाइल गोर्बाचोफ (Mikhail Gorbachev) न केवल बतौर शासक बल्कि शासन के बाद भी रूस की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बतौर सोवियत संघ के नेता वे अभिव्यक्ति की आज़ादी के तरफदार रहे और शासन ख़त्म होने के बाद उन्होंने पुतिन और बोरिस येल्तसिन के समस्याप्रद कदमों पर उनकी आलोचना करने में कोई गुरेज नहीं किया.
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Mikhail Gorbachev Death : स्टालिन के युग में पैदा हुए और सब बदल कर रख दिया, जानिए कौन थे गोर्बाचोफ