डीएनए हिंदी: देश ही नहीं दुनिया भर में एक तरफ ओमिक्रॉन पैर पसार रहा है, वहीं कोरोना के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. ऐसी स्थिति में इजरायल से एक खबर आई है. वहां कोरोना की चौथी डोज देने की शुरुआत कर दी गई है. अब ये पूरी दुनिया के लिए देखने वाली बात होगी कि आखिर चौथी डोज की जरूरत और इसका प्रभाव क्या है-
कैसे हुई शुरुआत
इजरायल (Israel)के एक अस्पताल में COVID वैक्सीन की चौथी डोज को लेकर शोध शुरू कर दिया गया है. राजधानी तेल अवीव (Tel Aviv) के पास शेबा मेडिकल सेंटर (Sheba Medical Center) में किए जा रहे इस शोध में छह हजार लोग शामिल हैं. दो हफ्तों के भीतर चौथी डोज मिलने के बाद के नतीजे भी सामने आने की बात कही जा रही है.
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150 लोगों पर ट्रायल
इसका ट्रायल मेडिकल सेंटर के 150 मेडिकल स्टाफ से शुरू होगा. इन्हें अगस्त महीने में बूस्टर डोज दी गई थी. अब इन्हें चौथी डोज दी जाएगी. बताया जाता है कि इन 150 लोगों के टेस्ट में सामने आया कि इनके शरीर में एंटीबॉडीज का स्तर काफी कम है. शेबा मेडिकल सेंटर में प्रोफेसर गिली योचे का कहना है, 'दुनिया में ये इस तरह का पहला शोध है. इसे इजरायल सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी से किया जा रहा है. इस शोध में वैक्सीन की चौथी डोज की जरूरत और उसके प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा.'
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चौथे डोज पर स्टडी
इस शोध के जरिए चौथी डोज के प्रभाव की जांच होगी. चौथी डोज कितनी सुरक्षित है, इसकी जरूरत किन लोगों को है, इसका शरीर पर क्या असर हो सकता है...इस तरह के सभी सवालों के जवाब इस शोध के जरिए सामने आ सकते हैं. शोध के लिए चौथी डोज देने की शुरुआत करने के साथ इजरायल दुनिया का इकलौता ऐसा देश बन गया है, जहां कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज इस्तेमाल की जा रही है.
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