डीएनए हिंदी: यूक्रेन में दो दिन पहले तक स्टूडेंट्स को अंदाज नहीं था कि अचानक हालात इतने बिगड़ जाएंगे. डीएनए हिंदी ने भी कुछ स्टूडेंट से संपर्क किया था. उस वक्त यूक्रेन के सुमी शहर में रहने वाले स्टूडेंट्स का कहना था कि हालात सामान्य हैं और उन्हें जरूरत की चीजें मिल रही हैं. स्थानीय लोग भी उन्हें यही तसल्ली दे रहे थे कि सब ठीक हो जाएगा लेकिन रूस ने अपना रंग दिखा दिया.
अचानक बिगड़े हालात तो इंडियन एंबेसी पहुंचे छात्र
हालात बिगड़ते देख छात्र इंडियन एंबेसी पहुंचे लेकिन जैसा कि दिख रहा है वहां काफी देर तक इंतजार ही करते रहे. बच्चे माइनस दो से तीन डिग्री तापमान की कड़कती ठंड में अपना सामान लिए एंबेसी के बाहर खड़े दिखे लेकिन कोई मदद नहीं मिली. इस ट्वीट के बाद अब सोशल मीडिया पर इन स्टूडेंट्स की मदद के लिए गुहार लगने लगी है.
सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसे हैं जो सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सरकार को ट्रोल कर इस मामले में उनका ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोग ऐसे हैं जो सवाल कर रहे हैं कि आखिर स्टूडेंट इतने दिन तक रुके हुए क्यों थे ? इसका जवाब है मेडिकल स्टूडेंट्स का एक एग्जाम जिसके चक्कर में स्टूडेंट यह फैसला नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें देश वापस लौटना चाहिए या यूक्रेन में ही रहना चाहिए.
बता दें कि मेडिकल स्टूडेंट के लिए यूक्रेन में कॉर्क नाम का एक एग्जाम होता है. यह थर्ड और फाइनल ईयर स्टूडेंट के लिए बेहद अहम होता है क्योंकि यह यूक्रेन का नेशनल लेवल का एग्जाम है. इसमें फेल होने या इसे मिस करने पर आपको साल रिपीट करना पड़ता है. इस वजह से कई बच्चें भारत लौटने को लेकर पशोपेश में थे. सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी में थर्ड ईयर की स्टूडेंट जिया भी इसी मुश्किल में थीं इसलिए उन्होंने 17 फरवरी की अपनी फ्लाइट छोड़ दी थी. तब तक हालात गंभीर होने के उम्मीद नहीं थी और वह अपना एग्जाम नहीं छोड़ना चाहती थीं. इस एग्जाम की गंभीरता को देखते हुए समझ में आता है कि आखिर स्टूडेंट किस बात का इंतजार कर रहे थे. वे पहले ही वहां से क्यों नहीं निकले?
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