डीएनए हिंदी: इस साल अप्रैल-मई के महीने में भारत के कई राज्यों को हीटवेव यानी बेहद गर्म हवाओं का सामना करना पड़ा. अब ऐसी ही हीटवेव यूरोप में भी देखने को मिल रही हैं. यह हैरानी भरा इसलिए है क्योंकि यूरोप के ज्यादातर देशों में गर्मी बहुत कम पड़ती है. सोमवार को पश्चिमी यूरोप के कई हिस्सों में तापमान 38 से 40 डिग्री तक पहुंच गया. ब्रिटेन के लंदन शहर में सोमवार को तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. आपको बता दें कि लंदन के लिए यह तापमान इस साल सबसे ज्यादा है और अभी तक का यह तीसरा सबसे ज्यादा गर्म दिन था.
ऐसी आशंकाएं जताई जा रही हैं कि यह तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच सकता है. पर्यावरण विशेषज्ञ इन हीट वेव का प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग को मान रहे हैं. सिर्फ़ यूरोप ही नहीं, इस साल एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और अन्य महाद्वीपों में भी इसी तरह की हीट वेव की घटनाएं देखने को मिली हैं. आइए समझते हैं कि क्यों यूरोप में भी अब ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं...
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हीटवेव का हॉट-स्पॉट बनता जा रहा है यूरोप
ब्रिटेन के अलावा फ्रांस, स्पेन, इटली और पोलैंड जैसे अन्य यूरोपीय देशों के औसत तापमान और किसी एक दिन के अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी होती जा रही है. इसी साल मई का महीना फ्रांस के लिए अब तक का सबसे गर्म महीना था. वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनिया के बाकी देशों में भी हीट वेव की घटनाएं हो रही हैं लेकिन उनकी इंटेंसिटी और उनके रहने का समय यूरोप में सबसे ज्यादा है.
लगातार हो रहे कार्बन डाई-ऑक्साइड के उत्सर्जन की वजह की ग्लोबल वार्मिंग के बड़ा फैक्टर बन गया है. धरती का औसत तापमान 19वीं सदी के मुकाबले दो डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. इसके अलावा, यूरोप में समुद्रों की ज्यादा संख्या भी हीटवेव का एक बड़ा कारण है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वातावरण का सर्कुलेशन और समुद्रों की स्थिति भी तापमान पर गंभीर असर डालती है.
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अफ्रीका की हवाएं कर रही हैं बुरा हाल
कम दबाव वाले इलाके हवाओं को अपनी ओर खींचते हैं. यूरोप के मामले में देखा जाए तो उत्तरी अफ्रीका से यूरोप की ओर हवाएं चल रही हैं. अफ्रीकी महाद्वीप से आने वाली ये गर्म हवाएं भी इन हीटवेव का अहम कारण बनती हैं. कई अन्य तरह की समुद्री हवाएं (सामान्यत: गर्म हवाएं) पिछले चार दशकों में यूरोप में हीटवेव की घटनाओं की बढ़ा रही हैं. न सिर्फ़ इन घटनाओं की संख्या बढ़ रही है बल्कि इनकी तीव्रता और गर्मी के स्तर में भी हर साल इजाफा होता जा रहा है.
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एक और वजह यह है कि लगातार और बार-बार हीटवेव आने से भी इनका तापमान बढ़ता जाता है. एक बार हीटवेव आने से जमीन की नमी सूख जाती है. ऐसे में अगली हीटवेव को जब जमीन से नमी नहीं मिल पाती है तो उसका तापमान कम नहीं हो पाता है और हवा की गर्मी और ज्यादा हो जाती है. ऐसे में सूरज की रोशनी को आग में घी का काम करती है और उस क्षेत्र की गर्मी लगातार बढ़ती जाती है.
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Britain में अचानक से कैसे आने लगी हीटवेव? जानिए यूरोप क्यों बन रहा है हॉट-स्पॉट?