डीएनए हिंदीः 24 नवंबर 2021 का दिन स्वीडन में जैसे एक नए युग की शुरुआत लेकर आया था. ये अलग बात है कि नए युग का ये सूरज सिर्फ सात घंटे ही ठहरा और फिर अप्रत्याशित रूप से अस्त हो गया. बात हो रही है स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री मेगदालेना एंडरसन की. वह स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ सात घंटे का ही रहा. इसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि अब कहानी बदल चुकी है और फिर एक बार मेगदालेना को प्रधानमंत्री चुन लिया गया है. जानते हैं क्या है ये कहानी और क्यों आए इस कहानी में इस तरह के उतार-चढ़ाव-
स्वीडन की पहली महिला प्रधानमंत्री चुने जाने के कुछ घंटों बाद ही संसद में बजट प्रस्ताव गिरने पर मेगदालेना एंडरसन ने बीते हफ्ते इस्तीफा दे दिया था. 54 वर्षीय मेगदालेना ने सुबह के दस बजे एक फेसबुक पोस्ट लिखकर अपने प्रधानमंत्री चुने जाने की खबर पुख्ता की थी और इसके सात घंटे बाद शाम के करीब 4.30 बजे उन्होंने फेसबुक पर ही अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी. इस्तीफे की वजह रहा उनका सहयोगी दल द ग्रीन्स , जिसने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया. द ग्रीन्स के समर्थन वापस लेने की वजह से मेगदालेना का पेश किया गया बजट प्रस्ताव भी गिर गया. इसके साथ ही उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला कर लिया और स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
उन्होंने कहा, 'यह संवैधानिक परंपरा है कि जब एक दल गठबंधन छोड़ देता है तो सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए. मैं ऐसी सरकार का नेतृत्व नहीं करना चाहती जिसकी संवैधानिक वैधता ही सवालों के घेरे में हो.'
सांसदों ने खड़े होकर किया था अभिवादन
इस सबके बाद 29 नवंबर को एक बार फिर उन्हें सरकार का प्रमुख चुन लिया गया. हालांकि, वह अपनी पार्टी की अल्पमत वाली सरकार बनाएंगी. ये बताना भी जरूरी है कि जब सौ साल के इतिहास में पहली बार देश को एक महिला प्रधानमंत्री मिली थी, तब उनके चुने जाने पर सांसदों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया था. आंदरजोन के प्रधानमंत्री बनने से पहले स्वीडन ही एकमात्र नॉर्डिक देश था जहां अब तक कोई महिला प्रधानमंत्री नहीं रही थी.
16 साल की उम्र में शुरू किया था करियर
जूनियर स्विमिंग चैंपियन रह चुकीं मेगदालेना एंडरसन स्वीडन के उपासला शहर की रहने वाली हैं. 16 साल की उम्र में ही उन्होंने सोशल डेमोक्रेट पार्टी की सदस्यता ली थी. उन्होंने अपना राजनीतिक करियर 1996 में शुरू किया था. उसके बाद सात साल तक वह देश की वित्त मंत्री रहीं.
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