डीएनए हिंदी: फ्रांस में समलैंगिक सिंगल वुमन की मांग पर फर्टिलिटी कानून (Fertility law in France) को पास कर दिया गया है. इसके साथ ही फ्रांस फर्टिलिटी कानून पास करने वाला यूरोप का 13वां देश बन गया है. इस कानून के पास हो जाने से अब समलैंगिक अकेली महिलाएं भी आईवीएफ (IVF) के जरिये मां बन सकेंगी. इसके लिए फ्रांस सरकार ने फर्टिलिटी सेंटर्स को सरकार की तरफ से 68 करोड़ रुपये की राशि भी दी है. हालांकि फ्रांस में स्पर्म डोनर्स की संख्या कम (Less Sperm Donors) होने के कारण और स्पर्म बैंक में स्टॉक कम होता है और यही वजह है कि महिलाओं को ज्यादा समय तक इंतजार करना पड़ता है. फ्रांस में कानूनी तौर पर बाहरी देशों से स्पर्म के आयात पर प्रतिबंध है जिस वजह से वहां के फर्टिलिटी सेंटर्स की वेटिंग लिस्ट लगातार बढ़ती चली जा रही है.
क्या कहता है नया फर्टीलिटी कानून?
फ्रांस में डोनर्स की घटती संख्या का मुख्य कारण यह है कि डोनर्स की पहचान गुप्त नहीं रखी जाती है. वहां पर पैसे लेकर स्पर्म डोनेट करने के एवज में पैसे लेने पर पूरी तरह प्रतिबंध है. इसके कारण स्पर्म डोनेशन की संख्या में हर साल कमी आ रही है. वर्ष 2017 में जहां 404 पुरुषों ने स्पर्म डोनेट किया था. 2018 में स्पर्म डोनेशन करने वालों की संख्या 386 थी जबकि 2019 में यह घटकर 317 रह गई. सरकारी एजेंसी बायोमेडिसिन की प्रवक्ता हेलेन ड्यूईट का यह कहना है कि स्पर्म डोनेट करना किसी दूसरे की मदद करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. हेलेन का कहना है कि लोगों में स्पर्म डोनेट करने की जागरूकता फैलानी होगी.
स्पर्म बाहरी देशों से आयात नहीं करना चाहती है फ्रांस सरकार
फ्रांस सरकार स्पर्म बाहरी देशों से आयात नहीं करना चाहती है जिसके पीछे शुद्धतावादी नजरिया है. डॉ. मेरिल टोलिडेनो ने कहा कि फ्रांसीसी स्पर्म की ही अनिवार्य के कारण हम बढ़ती डिमांड को पूरी नहीं कर पाएंगे. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि फ्रांस के मौजूदा कानूनों के चलते लगता है कि ज्यादा उम्र की समलैंगिक अकेली महिला को आईवीएफ के लिए अब भी विदेश जाना पड़ेगा.
- Log in to post comments