डीएनए हिंदी: कोविड-19 के नए वेरिंट पर अब दुनियाभर की नजरें टिकी हैं. ओमिक्रोन के सब वेरिएंट JN.1 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वेरिएंट ऑफ इंट्र्रेस्ट घोषित किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की टिप्पणी से दुनियाभर के स्वास्थ्य अधिकारी डर गए हैं. वजह यह है कि कई देशों में इस वेरिएंट के केस सामने आए हैं. राहत की बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए पहले की तरह बड़ा खतरा नहीं पैदा होगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि अब तक मिले मामलों और साक्ष्यों के मुताबिक जेएन.1 का वैश्विक स्वास्थ्य पर असर कम है. JN.1, BA.2.86 का ही एक म्युटेशन है. इस वेरिएंट पर भी पहले से कराए गए टीकाकरण प्रभावी होंगे. अलग से इस वेरिएंट के लिए टीकाकरण कराने की जरूरत नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि मौजूदा टीके जेएन.1 और COVID -19 वायरस के अन्य किसी भी म्युटेंट वेरिएंट से होने वाली गंभीर बीमारी और मृत्यु से रक्षा करते हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि 8 दिसंबर तक संयुक्त राज्य अमेरिका में सबवेरिएंट जेएन.1 अनुमानित मामले 15% से 29% तक पहुंच जाएंगे.
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क्या फिर लौटेगी दुनिया में महामारी
अभी तक इस बात के कोई ऐसे साक्ष्य सामने नहीं आए हैं, जिन्हें देखकर कहा जा सके कि JN.1 अन्य वेरिएंट की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है. अब तक कराए गए टीकाकरण इस वेरिएंट से आपकी रक्षा करने के लि्ए पर्याप्त हैं.
कब सामने आया था JN.1 का पहला केस
सीडीसी के मुताबिक जेएन.1 का पहला केस पहली बार सितंबर में अमेरिका में पता चला था. पिछले हफ्ते, चीन में COVID सबवेरिएंट के सात केस सामने आए थे. भारत में भी लोग इस वेरिएंट से संक्रमित हो चुके हैं.
क्यों है अलर्ट होने की जरूरत
आयशा क्लीनिक के हेड डॉक्टर शाहिद अख्तर के मुताबिक कोविड बेहद संक्रामक बीमारी है. इससे उबरने के लिए भले ही इलाज उपलब्ध हैं, टीकाकरण प्रभावी हैं लेकिन फिर भी इससे संक्रमित होने से बचने की हर कोशिश करनी चाहिए. अगर आपमें फ्लू के लक्षण दिखें तो तत्काल आइसोलेट हो जाएं. मास्क का इस्तेमाल करें और संक्रमित होने से बचें. कोविड संक्रमण से ठीक होने के बाद भी शरीर में कुछ दिक्कतें बनी रहती हैं.
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JN.1 को लेकर डरा रहा WHO का नजरिया, अलर्ट होने की जरूरत, जानिए क्यों