डीएनए हिंदी: कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. दक्षिण अफ्रीकी देशों में सामने आए इस वेरिएंट ने यह संकेत दे दिया है कि कोविड पर दुनिया को लंबी लड़ाई लड़नी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कोरोना के इस नए वेरिएंट के प्रभावों के बारे में स्पष्टता नहीं है.
ओमिक्रॉन वेरिएंट पर टीकाकरण कितना प्रभावी है, संक्रमण फैलने की रफ्तार क्या है और वेरिएंट के अन्य गुण क्या हैं अभी तक यह साफ नहीं हो सकता है. SARS-CoV-2 वेरिएंट ओमीकॉर्न (Omicron) के संक्रमण की दर बेहद ज्यादा है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि वेरिएंट में म्युटेशन की संख्या अधिक होने की वजह से यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेअसर कर सकता है. यह वेरिएंट बेहद संक्रामक है. यही वजह है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट का फैलाव सामुदायिक स्तर (Community spread) पर भी हो सकता है.
ओमिक्रॉन वेरिएंट के क्या हो सकते हैं खतरे?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि वेरिएंट में कोविड-19 के अप्रत्याशित म्युटेशन की वजह से यह दूसरे वेरिएंट्स के की तुलना में ज्यादा संक्रामक है. अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक ओमिक्रॉन वेरिएंट में कोविड के 30 म्युटेशन सामने आए हैं. इसकी संक्रमण दर ही दुनिया के लिए चिंता बनी हुई है. ओमिक्रॉन के वेरिएंट में शामिल कुछ म्युटेशन इसे ज्यादा संक्रामक बना रहे हैं, वहीं कुछ म्युटेशन इतने संक्रामक नहीं हैं. कुछ म्युटेशन ऐसे भी हैं जो टीकाकरण के बाद शरीर में बनी इम्युनिटी को भी कमजोर कर सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की विशेषज्ञों के साथ हुई मीटिंग में यह बात सामने आई है दूसरे वेरिएंट्स की तुलना में इस वेरिएंट्स की संक्रमण दर ही चिंता का विषय है. अभी तक इस वेरिएंट्स के सबसे ज्यादा केस दक्षिण अफ्रीकी देशों में ही हैं. चिंताजनक बात यह है कि दक्षिण अफ्रीका की महज 24 फीसदी आबादी वैक्सीनेटेड है. ऐसे में कोरोना के नए वेरिएंट्स के प्रसार की दर ज्यादा हो सकती है.
हालांकि अब तक सामने आए आंकड़ों के मुताबिक ओमिक्रॉन म्युटेशन की वजह से वैक्सीनेटेड लोगों पर भी असर डाल सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह समझने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं कि वेरिएंट डायग्नोस्टिक्स, चिकित्सीय और वैक्सीन्स को कैसे प्रभावित कर सकता है.
क्या हैं ओमिक्रॉन वेरिएंट के लक्षण?
साउथ अफ्रीका नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (NICD) का कहना है कि अब तक ओमिक्रॉन वेरिएंट के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं देखे गए हैं. एनआईसीडी का यह भी मानना है कि डेल्टा ओमिक्रॉन जैसे वेरिएंट किसी शख्स के शरीर में एक लंबे वक्त तक नजर नहीं आते हैं.
कैसे करें वेरिएंट्स से बचाव?
कोरोना का यह वेरिएंट प्रतिरक्षा प्रणाली को बेअसर कर सकता है. जीनोमिक सर्विलांस जल्द कोविड के लक्षणों को पहचानने मदद करता है, अगर लक्षण दिखें तो तत्काल जांच कराएं. जिन क्षेत्रों में कोरोना का यह वेरिएंट फैला है वहां जाने से बचें. स्वास्थ्य विभाग और सरकारें यह तय करें कि प्रभावित इलाकों से आने वाले लोगों की कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग हो. ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी कमजोर है और उम्र 40 से ज्यादा है उन्हें बूस्टर डोज दिया जाए. जब सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन लग जाए तब 18 से अधिक उम्र के लोगों को भी वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जाए. वैक्सीन के व्यापक असर पर अभी अध्ययन जारी है.
भारत में क्यों बढ़ रही है चिंता?
कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर भारत में चिंता बढ़ रही है. भले ही ओमिक्रॉन वेरिएंट के कोई केस सामने न आए हों लेकिन बड़ी आबादी इस वेरिएंट्स को लेकर चिंतित है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 15 दिसंबर से अंतरराष्टरीय उड़ानों को फिर से शुरू करने का फैसला लिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जब से इस वेरिएंट पर चिंता जाहिर की है लोग चाहते हैं कि सरकार अपने इस फैसले पर एक बार फिर विचार करे. लोकल सर्किल नाम की एक एजेंसी ने सर्वे किया है जिसमें 64 फीसदी भारतीय यह चाहते हैं कि सरकार अपने फैसले पर दोबारा विचार करे. गौरतलब है कि 23 मार्च 2020 से ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भारत में नियमित नहीं हो पाई हैं. ऐसे में ओमिक्रॉन वेरिएंट का नया खतरा एक बार फिर आशंकाओं को बढ़ाने वाला है.
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