Chabahar Port Deal: भारत और ईरान के बीच सोमवार को उस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए गए हैं, जिसका इंतजार लंबे समय से चल रहा था. नई दिल्ली और तेहरान ने ईरान के चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) के संचालन को लेकर 10 साल के कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. अब चाबहार स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह का ऑपरेशन अगले 10 साल तक भारत संभालेगा. इससे भारतीय कारोबारियों को यूरोप और मध्य एशिया में अपना कारोबार बढ़ाने के लिए सीधी और आसान पहुंच मिल जाएगी. यही वो कारण है, जिसके चलते इस डील ने पाकिस्तान और चीन के माथे पर चिंता की लकीरें पैदा कर दी हैं.
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पहली बार विदेशी बंदरगाह संभालेगा भारत
ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में मौजूद चाबहार बंदरगाह को भारत-ईरान ने मिलकर डेवलप किया है. इस बंदरगाह के संचालन और डेवलपमेंट के लिए इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं. ये हस्ताक्षर मोदी सरकार के बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में किए गए हैं. इसी के साथ भारत ने पहली बार किसी विदेशी बंदरगाह का मैनेजमेंट अपने हाथ में ले लिया है. सोनोवाल ने इसे ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा, 'IPGL इस समझौते के तहत चाबहार बंदरगाह को डेवलप करने में 12 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा, जबकि 25 करोड़ डॉलर कर्ज के रूप में जुटाकर लगाए जाएंगे. यह भारत और ईरान के बीच के संबंधों और रीजनल कनेक्टिविटी के लिए ऐतिहासिक पल है.' इस दौरान ईरान के परिवहन एवं शहरी विकास मंत्री महरदाद बजरपाश भी वहां मौजूद रहे.
At Tehran, Iran today, delighted to be part of the signing of the Long Term Bilateral Contract on Chabahar Port Operations in presence of HE Mehrdad Bazrpash, Minister of Roads & Urban Development, Iran.
— Sarbananda Sonowal (Modi Ka Parivar) (@sarbanandsonwal) May 13, 2024
India will develop and operate Iran's strategic Chabahar Port for 10… pic.twitter.com/iXwekIk8ey
अब तक सालाना रिन्यूअल करना पड़ता था भारत को
चाबहार बंदरगाह का ऑपरेशन अब भी भारत ही संभाल रहा है. यह काम साल 2016 में हुए समझौते के तहत किया जा रहा है, लेकिन इस समझौते का दोनों देशों के बीच हर साल रिन्यूअल कराना पड़ता है यानी ईरान इसे जब चाहे खत्म कर सकता था. ईरान में चीन की गहरी होती जड़ों के बीच कई बार यह समझौता खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है, लेकिन अब 10 साल का नया समझौता इसकी जगह लेगा. ऐसे में भारत को अगले 10 साल तक चाबहार में जमे रहने का अधिकार मिल गया है. यह बंदरगाह भारत की तरफ से क्षेत्रीय व्यापार के तहत अफगानिस्तान से संपर्क बढ़ाने के लिहाज से भी अहम है.
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INSTC प्रोजेक्ट का है अहम हिस्सा
भारत इस बंदरगाह को अपने 'अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) प्रोजेक्ट' के एक अहम सेंटर के तौर पर पेश कर रहा है. यह प्रोजेक्ट 7,200 किलोमीटर लंबी मल्टीलेयर ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट है, जिसमें भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई की कनेक्टिविटी तैयार होगी.
चीन और पाकिस्तान के इरादों पर फिरेगा पानी
चाबहार बंदरगाह में भारत की मौजूदगी से पाकिस्तान और चीन को अपने लिए खतरा महसूस हो रहा है. दरअसल इससे इन दोनों देशों के खास इरादों पर पानी फिर जाएगा. चाबहार पाकिस्तान की समुद्री सीमा के करीब है और यहीं पर पाकिस्तान भी चीन की मदद से ग्वादर परो्ट डेवलप कर रहा है. ग्वादर पोर्ट को चीन ने अपने 'सिल्क रूट प्लान' यानी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत बनाना शुरू किया था. ग्वादर पोर्ट के जरिये चीन एकतरफ अपने यहां बनने वाले माल को पाकिस्तान के रास्ते सीधे यूरोप और मध्य एशिया के देशों में पहुंचाकर मुनाफा कमाना चाहता है, वहीं इस पोर्ट पर चीन के नियंत्रण से वह इसका इस्तेमाल भारत को समुद्री रास्ते से घेरने में भी कर सकता है. लेकिन अब चाबहार बंदरगाह के भारतीय कंट्रोल में आ जाने से ग्वादर में चीनी गतिविधियों की निगरानी आसान हो जाएगी. यही बात पाकिस्तान और चीन को डरा रही है.
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Chabahar Port Deal: क्या हुआ है भारत-ईरान के बीच समझौता, जिससे घबरा गए हैं पाकिस्तान-चीन