डीएनए हिंदी: दुनिया के मानचित्र पर एक नए गणतांत्रिक राष्ट्र का उदय हुआ है. ब्रिटेन के उपनिवेश से बारबाडोस को मुक्ति मिली है. इस देश ने आधिकारिक रूप से राष्ट्र प्रमुख के तौर पर ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को राष्ट्राध्यक्ष के पद से हटा दिया है. बारबाडोस एक कैरिबियाई देश है. बारबाडोस की राजधानी ब्रिजटाउन में डेम सैंड्रा मेसन ने 30 नवंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ ली. शपथग्रहण के साथ ही बारबाडोस में एलिजाबेथ युग का अंत हो गया है.
बारबाडोस में एलिजाबेथ युग के अंत पर प्रिंस चार्ल्स ने खुद स्वीकार किया कि कैरेबियाई द्वीप पर 'गुलामी के भयानक अत्याचार' हुए हैं. बारबाडोस वैसे तो 55 साल पहले आजाद हो गया था लेकिन राष्ट्राध्यक्ष के पद पर लगातार एलिजाबेथ द्वितीय बनी हुई थीं.
ब्रिटने के उपनिवेश से बारबाडोस की मुक्ति गणतांत्रिक देश के लिए सदियों की दासता का अंत है. 200 वर्षों तक लगातार बारबाडोस द्वीप गुलामों के 'बेचे और खरीदे जाने' का केंद्र बना हुआ था. करीब 400 साल पहले ब्रिटिश ने अपने राज्य का विस्तार इस कैरिबियाई द्वीप पर किया था.
कैसे हुआ राजशाही का अंत?
सत्ता के आधिकारिक परिवर्तन को दर्शाने के लिए, ब्रिटिश राजशाही को अंतिम सलामी दी गई और रॉयल स्टैंडर्ड ध्वज को उतारा गया. बारबाडोस के नए ध्वज को फहराया गया. प्रिंस चार्ल्स इस ऐतिहासिक दिन ने खुद गवाह थे. वे ही मुख्य अतिथि थे. उन्होंने कहा कि संवैधानिक परिवर्तनों के बाद भी ब्रिटेन और बारबाडोस के बीच भागीदारी जारी रहेगी. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने भी नए गणतंत्र को शुभकामनाएं दी हैं. 72 वर्षीय सैंड्रा मैसन इस द्वीप की 2018 से ही गवर्नर थीं. उन्हें संसद में वोटिंग के जरिए हाल ही में राष्ट्रपति चुना गया. बारबाडोस कॉमनवेल्थ देशों में शुमार रहेगा.
कैसा है बारबाडोस का इतिहास?
बारबाडोस उन देशों में शुमार हैं जिन्हें इंग्लैंड ने सबसे पहले गुलाम बनाया था. इंग्लैंड ने 1627 में इस द्वीप पर अपने पांव जमाए थे. यहां गन्ने की खेती और चीनी का उत्पादन कराया जाता था. अफ्रीका से गुलामों को लाकर यहां काम कराया जाता था. बारबाडोस में गुलाम प्रथा का अंत 1834 में हुआ और इस देश को आजादी मिली साल 1966 में. एलिजाबेथ सांकेतिक तौर पर प्रमुख इस देश की बनी हुई थीं. इस देश की आबादी करी 2,85,000 है. कैरिबियाई द्वीपों में बारबाडोस सबसे समृद्ध माना जाता है.
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