दुनिया में कई ऐसे भाषण हुए हैं, जिन्होंने विश्व की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दी. कभी इन भाषणों ने नागरिक अधिकारों की दिशा में बड़ा बदलाव किया, तो कभी किसी देश की आजादी में. ऐसे ही कुछ चर्चित भाषणों के बारे में जानें, जिन्होंने दुनिया को दिशा दिखाने का काम किया.
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महात्मा गांधी ने अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के वक्त जो भाषण दिया था, वह इतिहास में दर्ज हो गया. इसी भाषण में राष्ट्रपिता ने देशवासियों से आत्म-बलिदान की मांग करते हुए ''करो या मरो'' का नारा दिया था. बापू के दिए इस नारे ने देश को अलग दिशा दी और लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर गए.
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अमेरिका में दास प्रथा को खत्म कर नागरिक अधिकारों की दिशा में महानतम कदम उठाने वाले राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का भाषण भी बहुत चर्चित रहा. 19 नवंबर, 1863 को, राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने सबसे खूनी गृह युद्ध वाली जगह गेटिसबर्ग के भाषण में लोकतंत्र की परिभाषा दी. लिंकन ने उस वक्त लोकतंत्र के लिए, 'जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा' कहा था. आज पूरी दुनिया में लोकतंत्र की यही परिभाषा मान्य है.
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अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी आज भी वहां के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति के तौर पर दर्ज हैं. अमेरिका के अब तक 46 राष्ट्रपति हुए हैं और सबने उद्घाटन भाषण दिया. कैनेडी के उद्घाटन भाषण जैसी लोकप्रियता इतिहास में दूसरी दर्ज नहीं हुई. इस भाषण में कैनेडी ने शक्ति के साथ संतुलन बनाने, गरीबी हटाने, महान लक्ष्य और सपने देखने की बात की थी. इसी भाषण में उन्होंने राज्य की सत्ता, जवाबदेही के साथ बाइबल की पंक्तियां और आध्यात्मिक तर्कों को शामिल किया था.
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अमेरिका के मशहूर अश्वेत नेता मार्टिन लूथर किंग रंगभेद और अश्वेत आंदोलन के मशाल पुरुष माने जाते हैं. गैर-बराबरी और रंगभेद खत्म करने के लिए 28 अगस्त 1963 को दिया उनका भाषण दुनिया भर में मशहूर है. आज भी 'आई हैव अ ड्रीम' का इस्तेमाल किसी भी बड़े आंदोलन में किया जाता है.
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20वीं सदी के नेताओं में कौन सबसे बेहतरीन वक्ता है पूछा जाए, तो शायद ज्यादातर लोग विंस्टन चर्चिल का नाम लेंगे. 4 जून 1940 को हाउस ऑफ लॉर्ड्स में दिया उनका भाषण इतिहास में दर्ज है. ब्रिटेन के ढहते वर्चस्व के बीच उन्होंने जोश भरने के लिए कहा, 'हम लड़ेगें, हम लड़ेंगे अपने घरों से निकलकर, गलियों में लड़ेंगे, पर्वतों में लड़ेंगे, हम कभी भी समर्पण नहीं कर सकते हैं, क्योंकि हम लड़ेंगे.' चर्चिल के इस भाषण ने आम जनमानस के बीच ऊर्जा फूंकने का काम किया था.
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1964 में नेल्सन मंडेला ने रिवोनिया ट्रायल में अपना बचाव करते हुए जो कहा, वह हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गए. उन्होंने कहा था, ''मैं एक आदर्श व्यवस्था का सपना देख रहा हूं और उसे पाने की उम्मीद में हूं. अगर जरूरत हुई और इस आदर्श के लिए मुझे मरना पड़ा, तो मैं उसके लिए भी तैयार हूं.''
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शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद ने भाषण दिया था. यह भाषण इतिहास में अमर हो गया है. इस भाषण में भारत की विश्व बंधुत्व दृष्टि और वसुधैव कुटुम्बकम जैसे आदर्शों पर चर्चा की थी. भाषण की शुरुआत उन्होंने मेरे अमेरिकी भाई-बहनों से की, जिसके बाद सभा में मौजूद दर्शकों ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया.