श्रीलंका (Sri Lanka) में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है. लगातार 50वें दिन भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं. पुलिस ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं. श्रीलंका फिलहाल गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और दिवालिया होने के कगार पर है.
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श्रीलंका में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. लोगों को खाना, तेल, दवाओं और रसोई गैस से लेकर माचिस तक की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण पिछले 49 दिन से राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर राष्ट्रपति कार्यालय के एंट्री गेट पर बड़ी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके कारण श्रीलंका राजनीतिक अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है.
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गोटाबाया राजपक्षे के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे 9 मई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति राजपक्षे से भी इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया है.
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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों का आज 50वां दिन है. समाचार वेबसाइट 'न्यूजफर्स्ट एलके' ने एक खबर में बताया कि कोलंबो के फोर्ट में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के पास प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं.
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कोलंबो गजट की रिपोर्ट के मुताबिक फ्लावर रोड पर ट्रैफिक को बाधित करने के लिए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के आवास और दफ्तर के नजदीक विरोध प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे के खिलाफ नारे लगाए.
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पुलिस को कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सेंट्रल कोलंबो में किला क्षेत्र की कुछ प्रमुख सड़कों पर प्रदर्शनकारियों के एकत्र होने पर रोक लगा दी जाए. पुलिस अब इस इलाके में प्रदर्शनकारियों को एंट्री नहीं दे रही है.
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गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर एक मार्च के लिए प्रदर्शनकारी दोपहर दो बजे से काले झंडे लेकर प्रदर्शन स्थल पर फिर इकट्ठा होंगे.
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चमीरा जीवनथा नामक एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हमारा संघर्ष तभी समाप्त होगा जब राजपक्षे परिवार राजनीति छोड़ देगा और उनके द्वारा किए गए सभी गलत कामों के लिए उन्हें लोगों की अदालत में पेश किया जाएगा.'
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श्रीलंका अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. जब 1948 में श्रीलंका को आजादी मिली थी तब भी ऐसे हालात नहीं थे. अब श्रीलंका पूरी तरह से विदेशी मदद पर निर्भर हो गया है. भारत जैसे बड़े देश श्रीलंका की मदद को आगे आए हैं.