श्रीलंका में लंबे समय से तमिलों के साथ गैर-बराबरी और भेदभाव को खत्म करने की बात हो रही है. अब तमिल पार्टियों ने अपने संवैधानिक अधिकारों को लागू करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पार्टी प्रतिनिधियों ने पीएम को लिखी विस्तृत चिट्ठी में उनसे गुहार लगाई है कि संवैधानिक संशोधन 13A के तहत मिले अधिकार दिलाने में पीएम मोदी मदद करें.
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देश के 7 प्रमुख तमिल पार्टियों ने संविधान के 13 A संशोधन को लागू करवाने में पीएम से मदद मांगी है. पत्र में लिखा गया है कि अभी तक तमिलों को उचित प्रतिनिधित्व और समान अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
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श्रीलंका के संविधान का 13A या 13वां संशोधन भी भारत से जुड़ा है. यह संविधान संशोधन जुलाई 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते की वजह से अस्तित्व में आया था. इस संशोधन के तहत प्रांतीय परिषदों की स्थापना का प्रावधान किया गया था. संशोधन के तहत श्रीलंका के तमिलों को सत्ता में उचित जगह देने का प्रावधान भी रखा गया था. अभी तक इस संशोधन को लागू नहीं किया गया है जिससे तमिल समुदाय खुद को हाशिये पर पाते हैं.
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पत्र में पीएम मोदी के भाषण का जिक्र गया है. पत्र के अनुसार, 13 मार्च 2015 को पीएम मोदी श्रीलंका आए थे. उस वक्त उन्होंने राज्यों को अधिकतम सत्ता और मजबूती देने की बात की थी. 29 नवंबर को राष्ट्रपति गोरोभाया राजपक्षे के साथ मुलाकात में भी पीएम मोदी ने कहा था कि मुझे विश्वास है कि श्रीलंका में न्याय, शांति और सम्मान के लिए तमिलों की मांगों क पूरा करने के लिए सुलह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.
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इस पत्र में भारत का आभार जताते हुए लिखा गया है कि पिछले 40 साल से भारत ने श्रीलंका के तमिलों को अधिकार दिलाने के लिए अहम प्रयास किए हैं. पत्र में आगे लिखा गया है कि श्रीलंका के तमिलों और मुसलमानों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण मिलना चाहिए. एक ऐसा श्रीलंका बने जिसमें सबकी भागीदारी और प्रतिनिधित्व हो.
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पत्र में लिखा गया है कि स्पष्ट है कि भारत सरकार 13वें संशोधन को लागू कराने के लिए प्रतिबद्ध है. हम माननीय पीएम मोदी से आग्रह करते हैं कि श्रीलंका की सरकार को वादा निभाने और 13वें संशोधन को लागू कराने का आग्रह करें.