रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के जल्द से जल्द खत्म होने की उम्मीद दुनिया कर रही है. इस बीच आज फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की पुतिन से बात हुई है. फ्रांस और जर्मनी संघर्ष से पहले यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थता की कोशिश करने वालों में से थे. पुतिन ने मैक्रों के बयानों की ही निंदा कर दी और दो टूक अंदाज में पीछे नहीं हटने के इरादे जता दिए हैं.
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पुतिन ने फोन कॉल में स्पष्ट तौर पर फ्रांस समेत यूरोपीय देशों को ही निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन को मिंस्क समझौते का पालन कराने के लिए बाध्य करने में फ्रांस समेत पश्चिमी देशों ने कुछ नहीं किया है. बता दें कि फ्रांस, जर्मनी और ज्यादातर यूरोपीय देश इस संघर्ष में यूक्रेन के साथ हैं और रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं.
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सुलह की उम्मीद में किए गए फोन कॉल पर पुतिन ने लड़ाई जारी रखने का संकेत दिया है. रूस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन के समर्थन में दिए फ्रांस के राष्ट्रपति के भाषण पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के लिए उनके दिए भाषण से वह पूरी तरह से असहमत हैं. मैक्रों ने कहा था कि यह हमला यूरोप के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित होगा. उन्होंने यह भी कहा था कि रूस पर सख्त पाबंदियां लगाई जाएंगी और इस जंग में हम यूक्रेन के बहादुर लोगों के साथ हैं.
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रूस पर लगातार समझौते के लिए दबाव बनाने का काम वैश्विक ताकतें कर रही हैं. दुनिया में अलग-थलग होने के बाद भी पुतिन फिलहाल नर्म पड़ते नजर नहीं आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन में रूस की लड़ाई किसी समझौते पर खत्म नहीं होने वाली है. उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन से बातचीत की मांग की जा सकती है. रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधि दल के बीच बेलारूस में एक बार बातचीत हो चुकी है.
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संघर्ष के 8 दिन हो चुके हैं और युद्ध में जान-माल का नुकसान जारी है. अब तक हालात ऐसे हैं कि रूस ने खारकीव पर कब्जा कर लिया है और कीव में भी रूसी सेना मौजूद है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि इस संघर्ष में 1 मार्च तक 750 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. अमेरिकी मीडिया में 10 लाख लोगों के विस्थापित होने का दावा किया जा रहा है.
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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पश्चिमी दुनिया और अमेरिका से लगातार सहयोग मांग रहे हैं. यूरोपियन यूनियन की सदस्यता के लिए उन्होंने एक भावुक भाषण भी दिया है जिसकी पूरी दुनिया में खासी चर्चा हुई है. जेलेंस्की भी लगातार कह रहे हैं कि यह यूक्रेन के अस्तित्व और गरिमा की लड़ाई है और हर यूक्रेनी इसे लड़ेगा.