अमेरिका और रूस के बीच यूक्रेन को लेकर विवाद और बढ़ता नजर आ रहा है. आज बाइडन प्रशासन ने 27 रूसी डिप्लोमेट को निकाल दिया है. अमेरिकी मीडिया में ऐसी खबरें भी हैं कि रूसी राष्ट्रपति की कथित गर्लफ्रेंड को भी अमेरिका बैन करने की तैयारी में है. जानें क्या है पूरा मामला और कौन हैं पुतिन की यह सीक्रेट गर्लफ्रेंड.
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के 27 डिप्लोमेट्स को देश छोड़ने का आदेश दिया है. इसके अलावा, रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी दी है. बाइडन ने कहा कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो रूस की 85 हजार करोड़ रुपए की 'नॉर्ड स्ट्रीम 2' गैस पाइपलाइन को रोका जाएगा. रूस की इस पाइपलाइन से यूरोप को प्राकृतिक गैस सप्लाई करने की योजना है.
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बाइडन प्रशासन ने यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करने की रूस की मांग भी खारिज कर दी है. इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ अब जर्मनी भी आ गया है. जर्मनी का साथ मिलना अमेरिका के पक्ष को मजबूत करता है. पिछले कुछ समय से जर्मनी के नाटो से छिटकने की बातें सामने आ रही थीं लेकिन यूक्रेन के लिए जर्मनी भी अमेरिका के साथ खड़ा है.
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ऐसी खबरें भी हैं कि रूस को अलग-थलग करने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की गर्लफ्रेंड और परिवार को बैन किया जा सकता है. बता दें कि पिछले कुछ सालों से पश्चिमी मीडिया में बार-बार दावा किया जा रहा है कि ओलंपिक विजेता और पूर्व जिमनास्ट अलीना कबेबा ही पुतिन की गर्लफ्रेंड हैं. द सन की खबर मानें तो अलीना से पुतिन की 2 जुड़वां बेटियां भी हुई हैं. अभी तक आधिकारिक तौर पर इस रिश्ते को दोनों में से किसी ने नहीं माना है.
तस्वीर: इंस्टाग्राम से साभार
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1991 में सोवियत रूस से अलग होने के बाद से यूक्रेन का झुकाव यूरोप की तरफ है. रूस के लिए यह बात बर्दाश्त के बाहर है क्योंकि भौगोलिक तौर पर यूक्रेन की स्थिति रूस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है लेकिन पिछले कुछ महीनों में स्थिति इतनी खराब हो गई कि इस विवाद को लेकर लगभग पूरी दुनिया ही 2 गुटों में बंटी नजर आ रही है.
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यूक्रेन और रूस के बीच जारी विवाद के निपटारे के लिए दुनिया के कई देश कोशिश कर रहे हैं. 2 हफ्ते चली मैराथन बैठकों के बाद सभी पक्षों के बीच सीजफायर पर सहमति बनी है. इस विवाद में मध्यस्थता की कोशिशें खास तौर पर फ्रांस और जर्मनी की ओर से की गई हैं. हालांकि, यूक्रेन-रूस विवाद पर गहराई से नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना है कि यह शांति लंबे समय तक रहेगी, इसे लेकर निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.