पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की एक और इंटरनेशनल बेइज्जती हुई है. FATF ने हालिया सूची में भी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकाला है. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराधों पर निगरानी करने वाली इस संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तान सरकार आतंकियों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकाम रही है.
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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने इस बार भी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है. FATF ने कहा कि पाकिस्तान ने टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर कमियों को पूरा नहीं किया है. 2018 से ही पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इस पर कहा है कि 2023 तक सभी जरूरी शर्तें पूरी कर ली जाएंगी. बता दें कि जून 2018 से टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में ही है.
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एफएटीएफ पूरी दुनिया में मनी लॉन्ड्रिंग, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और टेरर फाइनेंसिंग पर निगाह रखती है. अगर इस संस्था के द्वारा किसी देश को ग्रे लिस्ट या ब्लैक लिस्ट में डाला जाता है तो उस देश को वैश्विक संघों और वर्ल्ड बैंक वगैरह से कर्ज लेने के लिए बहुत कठोर शर्तों का पालन करना पड़ता है. साथ ही, ग्रे लिस्ट या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने की वजह से इन देशों में निवेश की संभावनाएं भी बहुत कम हो जाती हैं.
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एफएटीएफ ने इस बार की बैठक में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को भी ग्रे लिस्ट में डाला है. एफएटीएफ का मानना है कि यूएई ने अपराधियों और आतंकवादियों को अपने यहां धन छिपाने से रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में इस सूची में पश्चिम एशिया के ही तीन और देश जॉर्डन, सीरिया और यमन शामिल हैं. यूएई की महत्वपूर्ण प्रगति की एफएटीएफ ने प्रशंसा की है तो दूसरी ओर यह भी कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए और काम करने की जरूरत है. माना जा रहा है कि मुस्लिम देशों से इतर अपनी उदार छवि बनाने की कोशिश में जुटे यूएई को इससे धक्का लग सकता है.
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एफएटीएफ ने जून 2018 में जब पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था तब भी कहा गया था कि पाकिस्तान अपने देश में टेरर फंडिंग रोकने में नाकाम रहा है. पाकिस्तान में आतंकियों को शरण देने के साथ पैसा पहुंचाने का काम भी होता है, यह तथ्य दुनिया के सामने है. इस बार भी संस्था ने माना कि पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग रोकने में अब तक कामयाब नहीं हुआ है.
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FATF ने ईरान और नॉर्थ कोरिया को इस बार भी ब्लैक लिस्ट में रखा है. ये दोनों देश साल 2021 में भी ब्लैक लिस्ट में ही थे. इन दोनों ही देशों को टेरर फंडिंग के आधार पर ब्लैक लिस्ट किया गया है.