पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार का जाना तय माना जा रहा है. 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है और देखना यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद से पूर्व क्रिकेटर इस्तीफा देते हैं या उन्हें पद से हटाया जाता है. इस बीच पड़ोसी मुल्क में राजनीतिक सरगर्मियां और अटकलों का बाजार भी गर्म है.
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विपक्ष ने इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तानी संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है. पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने बताया है कि इस प्रस्ताव पर 3 अप्रैल को वोटिंग प्रस्तावित है. बचे हुए चार से पांच दिनों में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही अब तक तटस्थ खड़ी पार्टियों को अपने पक्ष में करने के लिए मशक्कत कर रही हैं. इमरान खान ने तो पंजाब में अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार का इस्तीफा ले लिया है. बगावत की धमकी दे रहे पीएमएल-क्यू को राज्य की कमान सौंप दी है. इसके बावजूद माना जा रहा है कि इमरान की कुर्सी का आखिरी फैसला पाकिस्तानी सेना ही करेगी.
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69 वर्षीय इमरान खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और अगर कुछ सहयोगी दल गठबंधन से हटने का फैसला करते हैं तो उनकी सरकार गिर सकती है. पाकिस्तान की 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में पीटीआई के 155 सदस्य हैं. इमरान की पार्टी को सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत है.
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पाकिस्तान की सत्ता में हमेशा सेना का दखल रहा है. एक वक्त में इमरान खान सेना के पोस्टर बॉय थे और पाक आर्मी की मदद से ही सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं. हालांकि, सत्ता में आने के बाद इमरान की बढ़ती ताकत सेना को खास रास नहीं आई और आज वह आर्मी की ही आंखों में चुभने लगे हैं.
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तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने इमरान खान की आलोचना करते हुए कहा कि वे अपनी डगमगाती गद्दी को बचाने के लिए धार्मिक कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. उधर इमरान खान ने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि उन्हें सत्ता से हटाने के लिए विदेशी ताकतों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-आई) एवं अन्य दल शामिल हैं. इमरान खान ने सोमवार रात इस्लामाबाद में श्रीनगर राजमार्ग पर एक बड़ी रैली का आयोजन किया है. इमरान खान अपनी रैलियों में जोर-शोर से अपनी उपलब्धियां गिनवा रहे हैं और पूर्ववर्ती सरकारों के भ्रष्टाचार का मामला उठा रहे हैं.