डीएनए हिंदी: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अपने बुरे दौर से गुजर रही है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ओर से जारी सितंबर 2021 तक के आकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान पर 50 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है. इमरान खान के शासन काल में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का भार 70 फीसदी तक बढ़ गया है. पाकिस्तान कंगाली के मुहाने पर खड़ा है.
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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार खराब होती जा रही है. खुद राष्ट्रपति इमरान खान यह मान चुके हैं कि अब उनके पास देश चलाने के लिए पैसे नहीं हैं. खराब अर्थव्यवस्था से जूझ रहा पाकिस्तान अक्सर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक से कर्ज लेता है. अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को कर्ज देने से मना कर दिया है.
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पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति कर्ज की दर लगातार बढ़ती जा रही है. पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति 2 लाख 35 का कर्ज है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए इमरान खान लगातार अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से आर्थिक मदद मांग रहे हैं. दूसरे देश भी अब पाकिस्तान की मदद करने से कतरा रहे हैं.
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इमरान खान ने आईएमएफ से अपील की थी कि पाकिस्तान की जीडीपी का 2 प्रतिशत उधार दे दिया जाए. इमरान खान चाहते थे कि आईएमएफ 38000 करोड़ रुपये का कर्ज दे दे. संस्थान ने कर्ज देने से मना कर दिया है. पाकिस्तान पर 50 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है.
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इमरान खान सरकार ने हर दिन 1400 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. साल 2018 तक पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति 1,44,000 तक का कर्ज था. अब यह बढ़कर 2,35,000 हो गया है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 21 लाख करोड़ रुपये है.
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कर्ज, बेरोजगारी और महंगाई की वजह से पाकिस्तान की जनता लगातार इमरान खान से नाराज है. पाकिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है. इस संकट से पाकिस्तान फिलहाल उबरता नजर नहीं आ रहा है.
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पाकिस्तान को आर्थिक संकट से केवल चीन ही अब उबार सकता है. हालांकि चीन खुद पाकिस्तान में विरोध का सामना कर रहा है. ग्वादर में चीन के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है. चीन के सीपेक परियोजना को यहां विरोध का सामना करना पड़ता है. ग्वादर, बलूचिस्तान प्रांत का हिस्सा है, जहां आजादी की मांग उठ रही है. पाकिस्तान को सऊदी अरब से भी महंगे ब्याज दरों पर 3 अरब डॉलर का कर्ज मिला है. पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 127 अरब डॉलर का आंकड़ा छू चुका है. पाकिस्तान फिलहाल आर्थिक संकट से उबरता नजर नहीं आ रहा है.